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इस विधि से करें मां बगलामुखी की पूजा…

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शास्त्रों के अनुसार वैशाखमास की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस माना जाता है. देवी बगलामुखी मां दुर्गा का ही एक स्वरूप हैं. दस महाविद्याओं में से मां बगलामुखी आठवां स्वरूप है. इनका स्वरूप सोने के समान अर्थात पीला है, जिसके कारण इन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है. मां बगलामुखी अपने भक्तों की शत्रुओं तथा बुरी नजर और  हर नकारात्मक शक्ति से रक्षा करती हैं. देवी बगलामुखी की पूजा-अर्चना में विशेष तौर पर पीले रंग की पूजा सामग्री, पीले वस्त्रों और पीले ही मिष्ठान का प्रयोग किया जाता है.

देवी बगलामुखी की पूजा अर्चना से मिलेगी नजर और तन्त्रदोष से मुक्ति-

सुबह के समय जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई करें.

फिर स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पण करें. साथ ही घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करें.

एक लकड़ी की चौकी या पटरे पर पीले रंग का रेशमी वस्त्र बिछाएं और उस पर मां बंगलामुखी की फोटो या मूर्ति स्थापित करें.

देवी के सामने पूजा में पीले रंग के फल फूल और पीले वस्त्र ही चढ़ाएं  तथा गाय के घी का दीपक जलाएं और पीतल लोटे में जल भरकर रखें.

ॐ ह्रीं बग्लाये नमः मन्त्र का पीले पर बैठकर तीन माला जाप करें जाप के बाद लौटे का जल सारे घर में छिड़क दें और पीला मिष्ठान छोटी कन्याओं में बांटे.

ऐसा करने से परिवार पर बुरी नजर तथा तंत्र दोष का दुष्प्रभाव खत्म होगा.

मां बगलामुखी की पूजा से मिलेगा उत्तम संतान का वरदान-

शाम के समय देवी बगलामुखी की पांच पीले फल फूल और मिस्ठान से पूजा करें.

एक मिट्टी के दीए में पांच लौंग और देसी कपूर पर रखकर जलाएं.

ॐ पीताम्बराये नमः मन्त्र का 108 बार जाप करें.

जाप के बाद सन्तान प्राप्ति की प्रार्थना करें और पीले फल और मिष्ठान किसी स्त्री को दान करें.

मां बगलामुखी की पूजा देगी शत्रुओं से छुटकारा-

देवी बगलामुखी की पूजा अर्चना शाम को सूर्यास्त के बाद करें.

अपनी उम्र के बराबर हल्दी की साबुत गांठे देवी को अर्पण करें.

देवी के सामने गाय के घी का दीया जलाये और पीले आसन पर बैठकर देवी बगलामुखी के 108 नामों का जाप करें.

एक हल्दी की साबुत गांठ प्रसाद और आशीर्वाद के रूप में हमेशा अपने पास रखें.

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