चारों सीटें जीतेंगे। हम रिपीट करेंगे। इस बार जीत के मार्जिन की लड़ाई है। कांग्रेस कहीं नहीं ठहर रही। आम जन चाहते हैं कि मोदी ही दोबारा पीएम बनें। हमारी सरकार ने भी उनके सहयोग से एक साल में खूब काम किए। देश को एक मजबूत प्रधानमंत्री चाहिए। देश उन्हीं के हाथ सुरक्षित है। देश की सुरक्षा बहुत बड़ा मुद्दा है।मैं उनकी उम्र के हिसाब से इज्जत करता हूं। वीरभद्र को मुकेश अग्निहोत्री ने उकसाया। बाद में वीरभद्र ने कहा भी कि उन्होंने ऐसा कहां कहा। मेरे बारे में तू-तड़ाक से बात करते अग्निहोत्री जल्दबाजी में हैं और वह इस चक्कर में कहीं अपना नुकसान न कर बैठें।
मैं खुद हर क्षेत्र में हो आया हूं। दो हलके ही बचे हैं। शांता कुमार पर कांगड़ा और प्रेम कुमार धूमल पर हमीरपुर की विशेष जिम्मेवारी है। जैसे-जैसे वक्त मिल रहा है, वह बाहर भी प्रचार कर रहे हैं। भाजपा नेताओं को काम बांटा गया है, उसी हिसाब से प्रचार कर रहे हैं।शांता जी मजाक करते हैं। वह खुद ही कह चुके हैं कि वह इस बार चुनाव लड़ाने का आनंद ले रहे हैं। वह जमकर प्रचार कर रहे हैं। कांगड़ा के अलावा बाहर भी प्रचाररत हैं।
कांग्रेस की तुलना में प्रचार में भाजपा बहुत आगे है। कांग्रेस शुरू से पिछड़ी है। चाहे नामांकन की बात हो या जनसभाओं की। भाजपा के पक्ष में माहौल है। कांग्रेस में तो यही पता नहीं है कि नेता कौन है। अब वीरभद्र की पहले जैसी पकड़ नहीं। कुलदीप राठौर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। अग्निहोत्री खुद को नेता माने हुए हैं, जबकि उन्हें कांग्रेस में कोई नहीं मानता। मंत्रियों, विधायकों और तमाम नेताओं को अपनी परफार्मेंस दिखानी होगी। चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में भी फेरबदल संभव है। ढील पर पोर्टफोलियो और मंत्री तक बदले जा सकते हैं।
ये प्रलोभन नहीं। जो बेहतरीन काम करेगा, उसका पार्टी ख्याल तो रखेगी ही। सब प्रमुख नेता अपने-अपने हलकों में काम कर रहे हैं। वीरभद्र और सुखराम के इकट्ठा होने पर ही विवाद है। वीरभद्र खुद सुखराम से गले मिलने की बात पर सफाई दे चुके हैं कि उन्होंने कौन सी शादी करनी है। इनसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वक्त बदल गया है। इसका फर्क हमें नहीं, सुखराम परिवार को ही पड़ेगा। अनिल को भाजपा में भी मैं ही लाया। कांग्रेस से लड़ते तो हालत कौल सिंह ठाकुर जैसी होती। सुखराम परिवार को एहसानमंद होना चाहिए। ये एकाध ही हैं। ये कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं कर रहे। कोई नुकसान नहीं।
यह सब एकतरफा नहीं होता। देश के प्रधानमंत्री पर राहुल गांधी की अभद्र टिप्पणी से भाजपा कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत हुईं। ऐसे बयान भावुक होकर ही निकलते हैं। कांग्रेस के पास असल में कोई मुद्दा नहीं है, तभी बेसिर-पैर के विषय उठा रही है।
आरएसएस कभी दखल नहीं देता। केवल सुझाव देता है। मैंने हिमाचल को एक दृष्टि से देखा है। सत्ता संभालने के बाद कमरे में बैठकर सरकार नहीं चलाई। जमीन पर उतरकर काम किया है। मेरे पास गांव और शहर दोनों के अनुभव हैं। मैंने खेतों में हल चलाया है, सेब तोड़े हैं, फलों की पैकिंग की है। खेतों से गंदम निकाली है। मैं हर आम आदमी की पीड़ा और जरूरतें समझ सकता हूं। दावे से कहता हूं कि यहां किसी भी मुख्यमंत्री के पास ऐसा अनुभव नहीं रहा होगा। हिमाचल की जनता ने मुझ पर भरोसा जताया है। लोकसभा चुनाव में भी जनता साथ देगी।