ऑस्ट्रेलिया ने 2015 वर्ल्ड कप में जब अपना पहला मैच खेला था तो तत्कालीन कप्तान माइकल क्लार्क मांसपेशियों में खिंचाव के कारण बाहर थे, लेकिन फिर भी ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 111 रनों से हरा दिया था. क्लार्क जब वापस आए तो उनकी जगह कप्तानी करने वाले जॉर्ज बैली को टीम से बाहर जाना पड़ा था. बैली बीते तीन साल से ऑस्ट्रेलिया के सर्वोच्च स्कोरर थे.
ऑस्ट्रेलिया ने अंतत: यह वर्ल्ड कप अपने नाम किया, लेकिन इसके बाद कहानी बदली और उस ऑस्ट्रेलिया को देखने के लिए लोग तरस गए जिसके वो आदि थे. ऑस्ट्रेलिया ने 2016 से 2019 के बीच छह वनडे सीरीज गंवाई, चैम्पियंस ट्रॉफी से बाहर हुई. इस बीच बॉल टेम्परिंग विवाद ने भी उसका दामन थाम लिया और फिर ऑस्ट्रेलिया ने वो दौर देखा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
2018 तक ऑस्ट्रेलिया इसी स्थिति में थी, लेकिन 2019 में ऐसा लगा कि उसने मानों नए साल में अपने आप को बदलने की जिद पकड़ी है. इस जिद में वह काफी हद तक सफल होती भी दिख रही है. नए साल में उसने भारत को उसके ही घर में वनडे सीरीज में हराया तो वहीं पाकिस्तान को भी हार का मुंह दिखाया.
वार्नर और स्मिथ का बल्ला चला तो बेड़ा पार
इस बीच सबसे अच्छी बात यह रही कि उसके बल्लेबाज फॉर्म में लौट गए. डेविड वार्नर और स्टीवन स्मिथ बॉल टेम्परिंग विवाद के कारण एक साल बाहर थे. मार्च में उनका प्रतिबंध समाप्त हो गया और चयनकर्ताओं ने उन पर भरोसा जताते हुए वर्ल्ड कप टीम में जगह दी.
यह दोनों इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेले और जिस तरह से इन दोनों ने खासकर वार्नर ने बल्लेबाजी की उससे बाकी टीमों की परेशानी निश्चित तौर पर बढ़ी होंगी. वार्नर ने आईपीएल में 692 रन बनाए और लीग में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे. वहीं स्मिथ का बल्ला भी आईपीएल में जमकर चला. इसके बाद अभ्यास मैचों में स्मिथ ने बेहतरीन पारियां खेलीं.
फिंच भी फॉर्म में लौटे
इन दोनों के अलावा कप्तान एरॉन फिंच भी फॉर्म में लौट चुके हैं. पाकिस्तान के खिलाफ फिंच ने 116, 153, 90, 39 और 53 रनों की पारियां खेलीं. फिंच उस तरह के बल्लेबाज हैं जो अगर विकेट पर पैर जमा लें तो किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को मिनटों में ध्वस्त करने का दम रखते हैं. उस्मान ख्वाजा ने भारत के खिलाफ सीरीज में दो शतक जमाए थे और पाकिस्तान के खिलाफ 24, 88, 0, 62 और 98 रनों की पारियां खेलीं.
ग्लैन मैक्सवेल भी एक ऐसा नाम है जो अगर चल गया तो ऑस्ट्रेलिया के लिए इससे अच्छी और दूसरी टीम के लिए इससे बुरी बात नहीं हो सकती.
ख्वाजा नंबर-3 पर सफल हो पाएंगे या नहीं
एक परेशानी बल्लेबाजी क्रम में कोच जस्टिन लैंगर के लिए यह है कि वह ख्वाजा को किस स्थान पर खेलाएं क्योंकि ख्वाजा ने हाल ही में जो सफलता हासिल की है वह एक सलामी बल्लेबाज के तौर पर हासिल की है. लेकिन अब वार्नर वापस आ गए हैं और फिंच के साथ उनका ओपनर के तौर पर आना तय है ऐसे में ख्वाजा को नंबर-3 पर खेलना होगा लेकिन ख्वाजा यहां सफल हो पाएंगे या नहीं यह देखने वाली बात है.
वहीं अगर गेंदबाजी की बात की जाए तो ऑस्ट्रेलिया मजबूत है. उसके पास मिशेल स्टार्क जैसे गेंदबाज है जो मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ और खौफनाक गेंदबाजों में गिना जाता है. स्टार्क यहां अकेले नहीं हैं. पैट कमिंस और जेसन बेहरनडोर्फ भी बड़ा रोल निभाएंगे. जेसन ने हाल ही में आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया था. झाए रिचडर्सन के बाहर जाने से टीम को झटका लगा है लेकिन केन रिचर्डसन उनकी भरपाई कर सकते हैं.
स्पिन में अच्छे विकल्प
स्पिन में भी ऑस्ट्रेलिया के पास अच्छे विकल्प हैं जिनकी जरूरत उसे टूर्नामेंट के दूसरे हाफ में ज्यादा पड़ेगी. एडम जाम्पा ने भारत में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. वह इंग्लैंड में अच्छा कर पाएंगे यह चुनौती है. वहीं नाथन लॉयन भी ऑस्ट्रेलिया के पास हैं लेकिन परेशानी यह है कि लॉयन ने ज्यादा वनडे मैच खेले नहीं हैं. उनके पास हालांकि टेस्ट का अनुभव है जो टीम के लिए कारगार साबित हो सकता है.
टीम की परेशानी एक यह भी है कि उसके पास अनुभवी मैच फिनिशिर नहीं हैं जो दबाव के पलों में शांत रहकर मैच को संभालते हुए अपनी टीम को जीत दिलाएं. मार्कस स्टोइनिस और एलेक्स कैरी में दम जरूर है कि वह तेजी से रन बना सकें लेकिन आखिरी ओवरों के दबाव में खेलने का अनुभव इन दोनों के पास ज्यादा नहीं है.
टीम : एरॉन फिंच (कप्तान), जेसन बेहरनडॉर्फ, एलेक्स कैरी (विकेटकीपर), नाथन कल्टर नाइल, पैट कमिंस, उस्मान ख्वाजा, नाथन लॉयन, शॉन मार्श, ग्लैन मैक्सवेल, केन रिचर्डसन, स्टीव स्मिथ, मिशेल स्टार्क, मार्कस स्टोइनिस, डेविड वार्नर, एडम जाम्पा.