16वीं लोकसभा के लिए गुरुवार सुबह 6 बजे से मतगणना शुरू हुई। भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इंदौर लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर है। यहां से कांग्रेस ने जहां पंकज संघवी को मैदान में उतारा है, वहीं भाजपा ने इस बार 8 बार की सांसद सुमित्रा महाज की बजाय शंकर लालवानी पर दांव खेला है।
लाइव अपडेट
इंदौर संसदीय सीट से भाजपा के शंकर लालवानी कांग्रेस के पंकज संघवी से 304625 हजार मतों से आगे रहे।
देवास संसदीय सीट से भाजपा के महेन्द्र सिंह सोलंकी कांग्रेस के प्रहलाद सिंह टिपानिया से 236791 वोट से आगे चल रहे है।
उज्जैन संसदीय सीट से भाजपा के अनिल फिरोजीया कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय से 267116 वोट से आगे चल रहे है।
इंदौर संसदीय सीट से भाजपा के शंकर लालवानी कांग्रेस के पंकज संघवी से 263509 हजार मतों से आगे रहे।
देवास संसदीय सीट से भाजपा के महेन्द्र सिंह सोलंकी कांग्रेस के प्रहलाद सिंह टिपानिया से 187853 वोट से आगे चल रहे है।
उज्जैन संसदीय सीट से भाजपा के अनिल फिरोजीया कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय से 209046 वोट से आगे चल रहे है।
- 11.00 बजे – भाजपा के शंकर लालवानी कांग्रेस के पंकज संघवी से 197825 हजार मतों से आगे रहे।
- 10.00 बजे – भाजपा के शंकर लालवानी कांग्रेस के पंकज संघवी से 41739 हजार मतों से आगे रहे।
- 9 बजे – भाजपा के शंकर लालवानी कांग्रेस के पंकज संघवी से 17 हजार मतों से आगे रहे। देवास संसदीय सीट से भाजपा के महेन्द्र सिंह सोलंकी कांग्रेस के प्रहलाद सिंह टिपानिया से 53895 वोट से आगे चल रहे है। उज्जैन संसदीय सीट से भाजपा के अनिल फिरोजीया कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय से 60950 वोट से आगे चल रहे है।
मालवा-निमाड़ की 8 सीटों पर 7वें और आखिरी चरण में मतदान हुआ था। इसमें मध्य प्रदेश की 8 सीटों में से इंदौर संसदीय सीट भी शामिल है। इंदौर में इस बार 69.66 फीसदी रिकॉर्ड मतदान हुआ। इससे पहले 1967 के चुनाव में सर्वाधिक 64.80 फीसदी वोटिंग प्रतिशत रजिस्टर्ड हुआ था। 2014 के चुनाव में इंदौर संसदीय सीट पर 62.25 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस बार कांग्रेस या भाजपा जो भी जीते 30 साल बाद इंदौर को पुरुष सांसद मिलेगा।
भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी पहली बार लोकसभा में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लालवानी ने 1993 में पहली बार विधानसभा क्षेत्र-4 से भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इसके बाद 1996 में नगर निगम चुनाव में वे अपने भाई और कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश लालवानी को हराकर पार्षद बने। वे नगर निगम सभापति भी रहे। इसके बाद वे नगर अध्यक्ष रहे। वे इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे।
1998 में भाजपा की सुमित्रा महाजन से लोकसभा चुनाव हार चुके पकंज संघवी पर कांग्रेस ने एक बार फिर से भरोसा जताया है। संघवी 1983 में पहली बार पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद 1998 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया, लेकिन सुमित्रा महाजन ने उन्हें 49 हजार 852 वोट से चुनाव हार दिया। इसके बाद 2009 में महापौर का चुनाव लड़े और भाजपा के कृष्णमुरारी मोघे से करीब 4 हजार वोट से हार गए। 2013 में वे इंदौर विधानसभा पांच नंबर सीट से करीब 12 हजार 500 वोट से विधानसभा चुनाव हारे।
2014 के लोकसभा चुनाव में सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 4,66,901 वोटों से हराया था। महाजन को 8,54,972 (64.93 फीसदी) वोट मिले थे, वहीं पटेल को 3,88,071 (29.47 फीसदी) वोट मिले थे।
इंदौर लोकसभा सीट से 1952 में कांग्रेस के नन्दलाल जोशी, 1957 में कांग्रेस के कन्हैयालाल खेड़ीवाला, 1962 में सीपीआई के होमी.एफ. दाजी, 1967 में कांग्रेस के प्रकाश चंद्र सेठी, 1971 में कांग्रेस के राम सिंह भाई, 1977 में भारतीय लोकदल के कल्याण जैन, 1980 और 1984 में कांग्रेस के प्रकाश चन्द्र सेठी ने दो बार जीत हासिल की। इसके बाद 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की। यहां से लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आठ बार जीत हासिल की।