लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 42 साल बाद कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया। उसे केवल एक सीट पर संतोष करना पड़ा। यहां की 29 में से 28 सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहरा दिया।
इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में जनता लहर में भी उसे मात्र एक छिंदवाड़ा सीट मिली थी। जिस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने गुरुवार को जीत दर्ज की। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो सीट मिली थीं। बाद में उपचुनाव में रतलाम सीट भी उसने जीती थी।
मोदी लहर में कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज चुनाव हार गए। सिंधिया घराने का गढ़ रहे गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहली बार हार का सामना करना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को 37 दिन पहले भाजपा में आईं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने हरा दिया। कांग्रेस सिर्फ अपने गढ़ छिंदवाड़ा को ही बचा पाई।
भाजपा ने प्रदेश में 14 सांसदों के टिकट काट दिए थे। ये सभी सीटें उसने जीत लीं। ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को इस बार अनूप मिश्रा का टिकट काटकर मुरैना भेजा गया। तोमर के स्थान पर विवेक शेजवलकर ग्वालियर से लड़े। दोनों चुनाव जीत गए।
मोदी लहर में कांग्रेस के दिग्गज हारे
- कांतिलाल भूरिया : रतलाम-झाबुआ से पांच बार के सांसद रह चुके भूरिया भाजपा के जीएस डामोर के सामने नहीं टिक पाए।
- अजय सिंह : सीधी से विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भाजपा की रीति पाठक से चुनाव हार गए।
- अरुण यादव : खंडवा से अरुण यादव की दाल भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के सामने नहीं गली।
- विवेक तन्खा : जबलपुर में विवेक तन्खा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने मात दी।
- ज्योतिरादित्य सिंधिया: गुना-शिवपुरी से सिंधिया को केपी यादव ने शिकस्त दी।सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में 25 हजार 837 मतों से जीते। उनके लिए दीपक सक्सेना ने सीट खाली की थी।