Home मध्य प्रदेश MP लोकसभा चुनाव: में UPA साफ ये रहे हार के कारण…

MP लोकसभा चुनाव: में UPA साफ ये रहे हार के कारण…

35
0
SHARE

लोकसभा चुनाव परिणामों के रुझान आते ही एनडीए और भाजपा के खेमे में खुशी की लहर है और पीएम मोदी को देश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ विजय बनाने का फैसला कर लिया है. जहां अलग-अलग राज्यों में पार्टी की जीत के मायने हैं, वहीं कांग्रेस और यूपीए की हार के भी कुछ मुख्य कारण हैं. बात करें मध्यप्रदेश की तो कुछ समय पहले ही राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर के बाद कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त दी, अब 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए ने यूपीए का सूपड़ा साफ कर दिया है और राज्य की कुल 29 सीटों में से 28 पर बढ़त बना ली है. मध्यप्रदेश में यूपीए के क्लीन स्वीप की वजह क्या है इसे हम अपको 5 कारणों के रूप में बता रहे हैं.

किसान आंदोलन की वजह से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुत फायदा हुआ था और यह भी एक बड़ा कारण था जिससे राज्य में कांग्रेस की सरकार आई. सरकार बनाने के पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के दावेदार कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था, जिससे पार्टी को बहुत फायदा हुआ और राज्य सरकार बनाने में कांग्रेस को सफलता मिली. लेकिन बाद में किसानों की कर्जमाफी डिफॉल्टर्स तक की सीमित रह गई जिससे लोकसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान हुआ.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही एक बहुत बड़ा घोटाला सामने आया जो लगभग 3,000 करोड़ रुपए का था, इस ट्रेडिंग घोटाले में आयकर विभाग ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के रिश्तेदारों के घर पर छापा मारा था. यह भी बहुत बड़ी वजह रही कि प्रदेश की जनता ने 2019 लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से एनडीए के उम्मीदवारों को वोट दिया.

कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में कमलनाथ और ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने जमकर मेहनत की थी ज्‍योतिरादित्‍य को सीएम पद का दावेदार भी माना जा रहा था लेकिन आखिर में फैसला कमलनाथ के पक्ष में हुआ. लोकसभा चुनाव के दौरान सिंधिया को पश्चिमी यूपी का प्रभार दे दिया गया, इस कारण वे मध्‍यप्रदेश के चुनावों में ज्‍यादा वक्‍त नहीं दे पाए. एक और दिग्‍गज नेता दिग्विजय सिंह को भोपाल से उम्‍मीदवार बनाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला था. अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव एकजुट होकर नहीं लड़ा. दिग्विजय को भोपाल सीट पर अकेला ही छोड़ दिया गया.

बिजली के मामले में बीजेपी सरकार के समय में अच्‍छी स्थिति रही. गांवों और तहसील क्षेत्रों में भी पावरकट नहीं के बराबर था लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही पावर कट का दौर शुरू हो गया. बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सभाओं में कहा, लालटेन का फिर से इंतजाम कर लीजिए. राज्‍य में सत्‍ता संभालते ही कांग्रेस के राज में थोक में तबादले शुरू हो गई. इसे लेकर कर्मचारी वर्ग में खासी नाराजगी रही. हालत यह रही कि कुछ कर्मचारियों के तो दो-तीन माह के अंतरात में दो या तीन बार तबादले हुए.

किसान का कर्ज माफ करने के ऐबज में कमलनाथ ने छात्रों की स्कॉलरशिप बंद कर दी जिससे युवा मतदाताओं में भारी निराशा देखी गई. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार में इन छात्रों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही थीं और कांग्रसे सरकार ने सत्ता में आते ही कुछ कठोर निर्णय लिए थे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here