Home राष्ट्रीय खतरे में कुर्सी अशोक गहलोत की कुर्सी राजस्थान में 130 रैलियों में...

खतरे में कुर्सी अशोक गहलोत की कुर्सी राजस्थान में 130 रैलियों में से 93 सिर्फ बेटे के समर्थन में की…

28
0
SHARE

राजस्थान में पिछले साल के आखिरी में हुए विधानसभा चुनाव में जीत के साथ वापसी करने वाली कांग्रेस सूबे में खाता खोलने में भी असफल रही है. अब इस बड़ी हार का ठीकरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर फोड़ा जा सकता है. पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने बेटे वैभव गहलोत को टिकट दिलाने को लेकर अशोक गहलोत पर सवाल उठाए. उसके बाद राजस्थान कांग्रेस के नेताओं ने भी गहलोत की मुश्किलें बढ़ा दी है. कई मंत्रियों और विधायकों ने मांग की है कि इस चुनावी शिकस्त के लिए जवाबदेही तय करने के साथ कार्रवाई होनी चाहिए.

इन सब के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में डटे हुए हैं. कल राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को मिलने का समय नहीं दिया था. माना जा रहा है कि गहलोत पर इस्तीफे का दबाव है, जिसके लिए गहलोत तैयार नहीं हैं.गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर से चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जबकि गहलोत जोधपुर में अपने बेटे के पक्ष में प्रचार के लिए कई दिनों तक डंटे रहे थे. उन्होंने 130 सभाएं की जिसमें से 93 सिर्फ अपने बेटे के समर्थन में किये. सूत्रों के मुताबिक, इन्हीं वजहों से राहुल गांधी ने नाराजगी जताई.

सूत्रों के मुताबिक गांधी ने 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन नेताओं ने पार्टी से ज्यादा अपने बेटों को महत्व दिया और उन्हीं को जिताने में लगे रहे. राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं. बीजेपी ने 24 और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज की है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस राजस्थान में खाता खोलने में असफल रही थी.राहुल गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि गांधी की बात को संदर्भ से अलग करके पेश किया गया, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संगठन या पार्टी शासित राज्यों की सरकारों में बदलाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष कोई भी फैसला करने के लिए अधिकृत हैं.

राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि CWC ने संगठन में बदलाव के लिए राहुल गांधी को अधिकृत किया है और वह बदलाव करेंगे. कुछ नेताओं द्वारा पार्टी से ज्यादा अपने बेटों को महत्व दिए जाने पर गांधी की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर खाचरियावास ने कहा, ‘‘राहुल गांधी जी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है. उनसे ऊपर कोई नहीं है और उन्होंने पूरा सोच-समझकर यह कहा होगा. कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ता उनके शब्दों का सम्मान करते हैं. मुझे भी इस बारे में मीडिया के जरिए पता चला है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर राहुल गांधी जी वरिष्ठ नेताओं की कमी पाते हैं तो उनका पूरा अधिकार है कि वह जवाबदेही तय करें और कार्रवाई करें.’’राजस्थान सरकार के एक और मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने भी कहा कि पार्टी की हार के लिए तत्काल जवाबदेही तय होनी चाहिए.इससे पहले राजस्थान के सहकारिता मंत्री उदयलाल अंजना और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि पार्टी को हार का विस्तृत आकलन करके राज्य में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव के लिये पार्टी को फिर से मजबूती के साथ तैयार करना चाहिए.

अंजना ने सोमवार को जयपुर में कहा कि लोकसभा चुनावों के परिणाम आशाओं के विपरीत थे. बीजेपी द्वारा उठाए गए राष्ट्रवाद के मुद्दे से मतदाताओं को प्रभावित किया गया था. हमारे नेताओं ने भी पूरे प्रयास किए लेकिन यह लोगों को स्वीकार्य नहीं था. मीणा ने कहा कि कि इस समय पार्टी के उम्मीदवारों, वर्तमान और पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और पदाधिकारियों से विस्तृत समीक्षा कर फीडबैक लिया जाना चाहिए.उधर, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के त्यागपत्र देने पर कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. रविवार को एक कथित प्रेस विज्ञप्ति में कटारिया ने कहा कि वह राज्य के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहे हैं.

नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कई विधायकों ने कहा कि जवाबदेही तय करना प्राथमिकता होनी चाहिए. हनुमानगढ़ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सी बिश्नोई ने चुनावी हार के लिए गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘संगठन ने कड़ी मेहनत की और पार्टी को राज्य की सत्ता में वापस लेकर आए. परंतु तीन महीनों के भीतर लोग सरकार से नाराज हो गए. मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी होनी चाहिए. उन्हें इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए.’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here