प्लास्टिक कूड़े के निपटारे की योजना को गंभीरता से नहीं लेना राज्य सरकार को महंगा पड़ सकता है। इस लापरवाही की वजह से प्रदेश सरकार को एनजीटी के समक्ष एक करोड़ रुपए का जुर्माना चुकाना पड़ेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 12 मार्च 2019 को सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी करते हुए 30 अप्रैल तक प्लास्टिक कूड़े के निपटारे की विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ट्रिब्यूनल के सामने पेश करने के निर्देश दिए थे। ऐसा नहीं करने पर हर माह एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया था।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक मध्यप्रदेश समेत 25 राज्यों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश उन 22 राज्यों में शामिल है, जिन्होंने कानूनी तौर पर प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन इस कानून का पालन कराने में नाकाम हैं।
मप्र सरकार ने 24 मई 2017 को जैव अनाश्य अपशिष्ट (नियंत्रण) अधिनियम 2004 की धारा 3 के तहत प्लास्टिक कैरीबैग पर पूर्ण प्रतिबंधित की अधिसूचना जारी की। इसके बावजूद राजधानी भोपाल के शहरी क्षेत्र में ही रोजाना 120 टन से अधिक प्लास्टिक वेस्ट निकल रहा है।