भोपाल. कर्जमाफी में आ रही दिक्कतों से निपटने के लिए राज्य सरकार जिलों में अपील कमेटी का गठन करेगी। इसमें किसान अपनी बात रखेंगे। यह कमेटी किसानों की मदद करेगी। इसी तरह किसान की समस्याओं और सरकार के बीच समन्वय के लिए भी एक राज्यस्तरीय समिति बनाएगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को किसान संगठनों से चर्चा बाद यह फैसला लिया। मुख्यमंत्री की भारतीय किसान मजदूर महासंघ के प्रतिनिधियों से समन्वय भवन में बात हुई, जिसके बाद महासंघ ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की। महासंघ के देवनारायण पटेल ने एक जून से प्रस्तावित आंदोलन को वापस ले लिया। इस दौरान कृषि मंत्री सचिन यादव भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने किसान प्रतिनिधियों से कहा कि किसान कर्ज मुक्त रहे और उनकी क्रय शक्ति बढ़े, इस दिशा में ऋणमाफी हमारा पहला कदम है। लेकिन इसको लेकर कुप्रचार किया जा रहा है, जिसकी हम परवाह नहीं करते। वचन-पत्र के मुताबिक कर्जमाफी का लाभ हर किसान को मिले, बस यही प्रयास कर रहे हैं। जो व्यवहारिक कठिनाइयां व किसानों में भ्रम है, उन्हें दूर करेंगे। ऋणमाफी में जिन किसानों को दिक्कत महसूस हो रही है, वे कृषि मंत्री को अपनी समस्या, सुझाव और उसके समाधान संबंधी जानकारी दें। त्वरित निराकरण होगा।
भारतीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने कहा कि किसानों से संवाद की पहल करने वाले वे पहले मुख्यमंत्री हैं। जब वे केंद्रीय मंत्री थे, तब उन्होंने भारतीय किसानों के हितों में संरक्षण के लिए डब्ल्यूटीओ जैसे वैश्विक मंचों पर पूरी दृढ़ता के साथ लड़ाई लड़ी। भारतीय किसान यूनियन ने भी बातचीत के बाद आंदोलन वापस ले लिया है। यूनियन के प्रदेश महामंत्री अनिल यादव के साथ प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋण माफी की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण पहल सरकार ने यह की है कि जिन किसानों का दो लाख से अधिक फसल ऋण है, उसमें दो लाख तक का ऋण तो सरकार की योजना के तहत माफ होगा। शेष ऋण राशि का 50 प्रतिशत अगर किसान जमा करता है तो उसका बाकी का 50 प्रतिशत ऋण माफ भी हो जाएगा। इस संबंध में सरकार की बैंकों से बात हो चुकी है