साल 2019 से पहले इंग्लैंड अबतक चार बार वर्ल्ड कप टूर्नामेंट्स का आयोजन कर चुका है. इसमें साल 1975, 1979, 1983 और 1999 शामिल है. चारों एडिशन में इंग्लैंड का सबसे दमदार प्रदर्शन अबतक रनरअप का रहा है जहां टीम ने फाइनल मुकाबला वेस्टइंडीज के साथ 1979 में खेला था. इसके बाद टीम ने एक बार फिर साल 1992 में बेहतरीन प्रदर्शन किया और फाइनल तक पहुंची लेकिन अंत में उसे पाकिस्तान के सामने हार का मुंह देखना पड़ा.
इस बार यानी की वर्ल्ड कप 2019 का आयोजन एक बार फिर पांचवी बार इंग्लैंड ही कर रहा है. क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैंड ने अबतक एक बार भी वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर कब्जा नहीं किया है. तो वहीं ये टीम टूर्नामेंट की सबसे फेवरेट टीम कब थी ये भी शायद लोगों को याद नहीं. हो सकता है साल 1975?
लेकिन अब चीजें बदल चुकी हैं. 70 के दौर के क्रिकेट और आज में काफी फर्क आ चुका है. लेकिन साल 2015 वर्ल्ड कप को इंग्लैंड की टीम आज भी नहीं भुला पाती है. बांग्लादेश ने टीम को ग्रुप स्टेज के दौरान ही टूर्नामेंट से बाहर कर दिया था. उस दौरान टीम के कप्तान इयोन मोर्गन थे और इस समय भी टीम के कप्तान वहीं है. लेकिन अब टीम बदल चुकी है. टीम अब इतनी मजबूत हो चुकी है कि टीम आईसीसी के टॉप रैंकिग में थी. इंग्लैंड ने अबतक वर्ल्ड कप में कुल 73 मैच खेले हैं जहां टीम को 41 मैचों में जीत मिली है तो वहीं 30 मैच टीम ने गंवाए हैं. जबकि 2 मैचों का कोई नतीजा नहीं निकल सका.
मोर्गन वो कप्तान हैं जिन्होंने कई हद तक इंग्लैंड की क्रिकेट को बदलकर रख दिया है. पहले जहां ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच होने वाले एशेज़ सीरीज पर सबकी नजरें होती थी तो वहीं वनडे में जीत के बाद अब लोग इसमें भी दिलचस्पी लेने लगे हैं. वाइट बॉल क्रिकेट अब फैलता जा रहा है. जहां टी20 और वनडे काफी अहम है. इसी को देखते हुए खिलाड़ी अब दूसरे देश जाते हैं और अपने खेल को सुधारते हैं. इसमें जेसन रॉय, जॉनी बेयरस्टो, जोस बटलर, मोइन अली, एलेक्स हेल्स और खुद मोर्गन.
इयोन मोर्गन का मानना है कि हमारी टीम और उसका प्रदर्शन जो इतने सालों में बदला है वो काफी लाजवाब है. पिछले तीन- चार सालों में हम काफी मजबूत हुए हैं और इस बार हम अपने घर में ये खिताब जीतना चाहते हैं. मैं इस बारे में सोच भी नहीं सकता कि वो नजारा कैसा होगा जब हम मैदान पर होंगे और हमें सपोर्ट के लिए हमारे फैंस हमारा उत्साह बढ़ा रहे होंगे.
बता दें कि इंग्लैंड का पहला मुकाबला दक्षिण अफ्रीका के साथ है. ये दोनों टीमें ऐसी हैं जिन्होंने आजतक वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा नहीं किया है. 1979, 1987 और 1992 ये तीन साल ऐसे सुनहरे साल हैं जहां टीम चाहती तो इतिहास रच देती. लेकिन टीम फाइनल तक ही पहुंच पाई और अंत में उसे हार का मुंह देखना पड़ा. अब इस बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये टीम एक बार फिर वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंच कर कप पर कब्जा कर पाएगी? लेकिन इस बीच भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों का नाम सुनकर ये सपना टूट जाता है