अशोक कुमार भारतीय हॉकी खिलाड़ी हैं। वे ‘हॉकी के जादूगर’ कहे जाने वाले प्रसिद्ध खिलाड़ी ध्यानचंद के पुत्र हैं। अशोक कुमार ने जल्द ही हॉकी में ख्याति प्राप्त कर ली थी, लेकिन उनके लिए अपने पिता के समान बेहतरीन प्रदर्शन करना दुष्कर कार्य था। उनके लिए श्रेष्ठ प्रदर्शन एक चुनौती के समान था, लेकिन 1974 में उन्होंने ‘अर्जुन पुरस्कार’ जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी। उन्होंने अन्तिम गोल लगाकर (1975 में) भारत को विश्व कप दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
परिचय
अशोक कुमार का जन्म 1 जून, 1958 को मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। अशोक कुमार ने बहुत कम उम्र में गेंद पर नियंत्रण व खेल में कुशलता प्रदर्शित कर खेल के विशेषज्ञों को पिता-पुत्र के बीच तुलना करने को प्रोत्साहित कर दिया था। उन्होंने पहले जूनियर स्कूल टीम में शामिल होकर खेलना आरम्भ किया, फिर वह क्लब के लिए हॉकी खेलने लगे और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने लगातार 4 वर्ष तक हॉकी खेली। अशोक कुमार ने 1966-1967 में राजस्थान विश्वविद्यालय के लिए खेला। इसके बाद वह कलकत्ता चले गए और मोहन बागान क्लब के लिए खेलने लगे। 1971 में बंगलौर में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उन्होंने बंगाल की टीम की ओर से खेला। इसके बाद अशोक कुमार ने सीनियर फ़्लाइट पर्सन के रूप में इंडियन एयरलाइन्स में नौकरी कर ली और उसकी ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व किया।
हॉकी कॅरियर
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अशोक कुमार ने सर्वप्रथम 1970 में बैंकाक एशियाई खेलों में भाग लिया, जिसमें भारतीय टीम पाकिस्तान से हार गई थी। उन्होंने 1974 में तेहरान एशियाई खेलों व 1978 में बैंकाक एशियाई खेलों में भी भाग लिया और दोनों बार रजत पदक जीता। अशोक कुमार ने 2 बार ओलंपिक खेलों में भी भाग लिया। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक तथा 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में उन्होंने भारतीय टीम की ओर से खेला और दोनों बार भारतीय टीम तीसरे स्थान पर रह कर कांस्य पदक जीत सकी। अशोक कुमार ने 1971 में सिंगापुर में पेस्ता सुखा अन्तरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला। फिर 1979 में उन्होंने पर्थ (ऑस्ट्रेलिया) में एसेन्डा हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय टीम की कप्तानी की। 1974 में उन्होंने ऑल एशियन स्टार टीम में खेला। वह दो बार वर्ल्ड इलेवन के लिए भी चुने गए।
1971 में बार्सिलोना में हुए प्रथम ‘विश्व कप’ में अशोक कुमार भारत की ओर से खेले, जिसमें टीम ने कांस्य पदक जीता था। 1973 में एम्सटरडम में द्वितीय विश्व कप में उन्होंने भाग लिया, जिसमें टीम ने रजत पदक जीता। उनके कॅरियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1975 में देखने को मिला, जब कुआलालंपुर में हुए ‘विश्व कप’ में उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण अन्तिम गोल लगाकर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। उनकी अंतिम व चौथी विश्व कप में भागीदारी अर्जेन्टीना में रही, जिसमें टीम छठे स्थान पर रही।
मैनेजर
खेलों से रिटायरमेंट के पश्चात् अशोक कुमार इंडियन एयरलाइंस हाँकी टीम व एयर इंडिया हॉकी टीम के मैनेजर रहे।
उपलब्धियां
अशोक कुमार ने 1974 व 1978 के तेहरान क बैंकाक एशियाई खेलों में भारतीय टीम की ओर से भाग लिया, जिसमें टीम ने रजत पदक जीते। 1972 तथा 1976 में म्यूनिख व मांट्रियल ओलंपिक में उन्होंने भाग लिया और टीम ने दोनों बार कांस्य पदक जीता।
उन्होंने 1974 में ऑल एशियन स्टार टीम के लिए खेला, फिर वर्ल्ड XI टीम के लिए चुने गए। उन्होंने 1971 व 1973 में बार्सिलोना ब एम्सटरडम में विश्व कप में खेला जिसमें टीम ने कांस्य व रजत पदक जीते। 1975 में भारतीय टीम की ओर से अंतिम विजेता गोल लगाकर कुआलालंपुर में उन्होंने भारत को विश्व कप में स्वर्ण पदक दिलाया।
1974 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया।