Home Una Special गर्मी से जंगलों के दहकने की आशंका बढ़ी…

गर्मी से जंगलों के दहकने की आशंका बढ़ी…

29
0
SHARE

ऊना। मई के अंतिम सप्ताह में सूर्य देव ने तेवर और कड़े करते हुए जिस प्रकार गर्मी का प्रकोप बढ़ाया है, उससे न केवल इंसान बल्कि जीव जंतुओं से लेकर वन संपदा पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है।

लू चलने के कारण बाजारों में सन्नाटा से कर्फ्यू जैसी स्थिति है। आग उगलती गर्मी में सबसे ज्यादा चिंता पर्यावरण प्रेमियों को उस समय होना शुरू हो जाती है, जब इस गर्मी के मौसम में जंगल भी दहकने शुरू हो जाते हैं। प्रत्येक वर्ष प्रदेश भर में लाखों करोड़ों की वन संपदा जंगलों में लगी आग की भेंट चढ़ जाती है। जंगल में लगने वाली इस आग में वन संपदा के साथ-साथ कई जीव भी जल कर मर जाते हैं। गर्मी के मौसम में जंगलों में जरा सी लापरवाही से ही जंगल दहकने शुरू हो जाते हैं। गगरेट-होशियारपुर सड़क से सटे चीड़ और अन्य प्रजातियों के पेड़ हर वर्ष आग की चपेट में आ जाते हैं। इससे न केवल गर्मी का प्रकोप और बढ़ता है बल्कि नुकसान भी बड़े पैमाने पर होता है। गगरेट क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र न होने से आग लगने की स्थिति में अंब और ऊना से अग्निशमन वाहन मंगवाने पड़ते हैं। देरी के कारण काफी वन संपदा नष्ट हो जाती है।

पर्यावरण प्रेमियों ने जताई चिंता पर्यावरण प्रेमी संजय शर्मा ने कहा कि वन विभाग को जंगलों को आग से बचाने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए। इससे फायर सीजन में आग की संभावनाएं कम हो सके। अतुल कालिया के अनुसार वन माफिया और अग्निकांड से प्रति वर्ष जंगलों को बहुत नुकसान होता है। इसकी भरपाई को दशकों लग जाते हैं। आम नागरिकों और विभाग को मिल कर जंगलों को आग से बचाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। विकास विक्की के अनुसार वन विभाग हर वर्ष जंगलों को आग से बचाने की नीति बनाता है परंतु सीजन आने पर सब नीतियां धरी रह जाती है। रमेश लौ के अनुसार जंगलों को आग से बचाने के लिए मात्र वन विभाग ही नहीं बल्कि सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है। यदि कोई जंगलों में आग लगता पकड़ा जाए, तो पुलिस प्रशासन उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here