जीडीपी और बेरोजगारी को लेकर पिछले दिनों आई रिपोर्ट्स को लेकर एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र सामना में बेरोजगारी बढ़ने और जीडीपी गिरने पर सवाल उठाए हैं और मोदी सरकार को सलाह दी है कि वह विज्ञापनबाजी ना करके काम करे. शिवसेना ने कहा है कि चुनौतियों को साथ काले धब्बे स्पष्ट दिखने लगे हैं.
शिवसेना ने मुखपत्र सामना में लिखा है, ‘’दिल्ली में नई सरकार के काम में जुटने का दृश्य तैयार हो गया है. उस दृश्य पर चुनौती के काले धब्बे स्पष्ट दिखने लगे हैं. देश की आर्थिक स्थिति स्पष्ट रूप से बिगड़ी हुई नजर आ रही है. आसमान फटा हुआ है इसलिए सिलाई भी कहां करें, ऐसी अवस्था हो गई है. मोदी की सरकार आ रही है इस सुगबुगाहट के साथ ही सट्टा बाजार और शेयर बाजार मचल उठा लेकिन ‘जीडीपी’ गिर पड़ी और बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ गया ये कोई अच्छे संकेत नहीं हैं.’
सामने में आगे कहा हैं, ‘’बेरोजगारी का संकट ऐसे ही बढ़ता रहा तो क्या करना होगा? इस पर सिर्फ चर्चा करके और विज्ञापनबाजी करके कुछ नहीं होगा. देश में बेरोजगारी की ज्वाला भड़क उठी है. ‘नेशनल सेंपल सर्वे’ के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत पहुंच गई. पिछले 45 सालों का यह सर्वोच्च आंकड़ा है. केंद्रीय श्रमिक मंत्रालय ने भी इस पर अब मुहर लगा दी है. सरकार का कहना ऐसा है कि बेरोजगारी बढ़ रही है यह कोई हमारा पाप नहीं है. बेरोजगारी की समस्या कोई पिछले 5 सालों में बीजेपी ने तैयार नहीं की है.’’
शिवसेना ने कहा, ‘’हर साल दो करोड़ रोजगार देने का आश्वासन था और उस हिसाब से पिछले 5 सालों में कम-से-कम 10 करोड़ रोजगार का लक्ष्य पार करना चाहिए था, जो होता दिख नहीं रहा है और उसकी जिम्मेदारी नेहरू-गांधी परिवार पर नहीं डाली जा सकती. सच्चाई ऐसी है कि रोजगार निर्माण निरंतर घट रहा है.’’
सामना में लिखा है, ‘’देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. ऐसा सरकार कहती है लेकिन विकास दर घट रही है और बेरोजगारी बढ़ रही है ये भी उतना ही सच है. नए उद्योग, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, यातायात जैसे क्षेत्रों में निवेश हुआ तो ही रोजगार का निर्माण होगा और जीडीपी बढ़ेगी. देश में बुलेट ट्रेन आ रही है, उसमें एक व्यक्ति को भी रोजगार नहीं मिलेगा. राफेल उद्योग में भी रोजगार का बड़ा मौका नहीं है.’’
सामना में आने लिखा है, ‘’चीन में काम करनेवाली 300 अमेरिकी कंपनियां वहां से बोरिया-बिस्तर लपेटकर हिंदुस्थान आ रही हैं, ऐसी तस्वीर चुनाव पूर्व दिखाई गई थी. मगर अब अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रंप ने हिंदुस्तान पर व्यापारिक प्रतिबंध लाद दिया है. महंगाई, बेरोजगारी, घटता उत्पादन और बंद होते उद्योग जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. शब्द भ्रम का खेल खेलने से बेरोजगारी नहीं हटेगी. अर्थव्यवस्था संकट में है.’’