रविवार रात 12 बजे वट अमावस्या (सोमवती) पर गंगा स्नान करने के लिए उमड़े श्रद्धा के सैलाब के सामने ट्रैफिक पुलिस के समस्त प्लान ध्वस्त होकर रह गए और ब्रजघाट पर लगा जाम दिल्ली-लखनऊ हाईवे 9 समेत मेरठ हाईवे और गढ़मुक्तेश्वर तीर्थनगरी के लिए 20 घंटे तक आफत बन गया। जाम के कारण अमरोहा से हापुड़ और मेरठ हाईवे पर 30 किलोमीटर से अधिक तक वाहनों की लंबी लाइनें लगी रहीं। कई एंबुलेंस जाम में फंसी थीं, जिसमें मुरादाबाद और गढ़ की तरफ से मेरठ को जाने वाले गंभीर रोगी चिल्ला रहे थे। मुरादाबाद का मरीज शमी मोहम्मद जोर-जोर से चीख रहा था, जबकि उसके तीमारदार रो रहे थे। इसके अलावा दिल्ली-लखनऊ के बीच दौड़ रहे कई नेताओं समेत अधिकारियों की गाड़ी फंसी हुई थीं।
वट अमावस्या सोमवार के दिन पड़ने से गढ़मुक्तेश्वर तीर्थ नगरी में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रविवार रात आठ बजे से ही ब्रजघाट में शुरू हो गई थी। इसके चलते रात्रि 12 बजे के करीब गंगा पुल पर जाम लगना शुरू हो गया। रात 12 बजे से लगे जाम को कम करने के लिए पुलिस ने आनन-फानन में भारी वाहनों को दिल्ली-लखनऊ हाईवे तथा गढ़-मेरठ रोड पर रोकना शुरू किया तो जाम ने विकराल रूप धारण कर लिया।
इसके चलते रात 12 बजे से लगा जाम सोमवार शाम तक नहीं खुल पाया है। इस कारण गजरौला से सिंभावली तथा मेरठ रोड पर नानपुर तक वाहनों की कई-कई लाइनें लग गईं।
गढ़मुक्तेश्वर को आने वाले बुलंदशहर, दिल्ली, मुरादाबाद, मेरठ मार्ग पर जाम लगने के कारण शहर के रास्तों पर भी जाम लग गया। शहर पूरी तरह चौक हो गया जबकि एनसीआर में गाजियाबाद से लेकर मसूरी, पिलखुवा और हापुड़ में भी जाम जैसी स्थिति बन गई। इसको लेकर एएसपी राम मोहन सिंह गढ़मुक्तेश्वर पहुंच गए, जबकि डीएम अदिति सिंह और एसपी डॉ. यशवीर सिंह के आदेश पर दोपहर 11 बजे टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली बंद कराई गई।
फिर वाहनों की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ी। कई हजार श्रद्धालुओं को ब्रजघाट तक न पहुंचने के कारण बिना स्नान करे ही लौटना पड़ा।
एएसपी राममोहन सिंह का कहना है कि टोल पर वसूली बंद करा दी गई है जबकि यातायात सुचारु हो रहा है। जाम के कारणों की जांच कराई जाएगी और ज्येष्ठ दशहरा के मद्देनजर दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर रूट डायवर्जन किया जाएगा।
एएसपी राम मोहन सिंह का कहना है कि जाम लग गया था जिसके लिए हाईवे पर डायवर्जन कराया गया। जाम से निपटने के लिए ज्येष्ठ दशहरा के मद्देनजर प्लान तैयार किया जाएगा।
दिन निकलते ही आसमान से आग बरसनी शुरू हो गई, जबकि श्रद्धा का सैलाब गंगा के तीर उमड़ रहा था। सोमवार को गढ़मुक्तेश्वर को जाने वाले प्रत्येक रास्ते जाम से चौक हो रहे थे। दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर वाहनों में बैठे वृद्ध, महिला और पुरुष ढाबों से महंगा पेयजल खरीद रहे थे, परंतु मेरठ हाईवे पर गर्मी से बच्चे तड़प रहे थे। महिलाएं और बच्चे पैदल ही 42 डिग्री तापमान में धूल के गुब्बार के साथ आगे बढ़ने के लिए मजबूर थे।
रविवार रात श्रद्धालुओं के वाहन तीर्थनगरी की तरफ दौड़ रहे थे, जबकि दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर स्थित टोल प्लाजा पर टैक्स लेने के लिए वाहनों की लाइन लगती जा रही थी। इसके अलावा आगे चलते ही पार्किंग में वाहनों को ले जाने के लिए ठेकेदार के लोग खड़े होकर वाहन रोक रहे थे तो प्राइवेट बसें पुराने पुल के सामने खड़ी कर दी गई।
12 बजते ही हाईवे पर जाम लगना शुरू हो गया, जो सुबह तक एनसीआर के लिए ही जी का जंजाल बन गया। जहां दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर गजरौला से सिंभावली तक करीब 40 किलोमीटर लम्बे जाम में वाहनों की कई लाइनें लगी हुई थीं, वहीं हाईवे से जुड़ी मेरठ-बुलंदशहर रोड पर जाम लग गया। इस कारण गढ़मुक्तेश्वर चौक हो गया।
सुबह 10 बजे गढ़ का आंबेडकर चौराहे पर लगे जाम से पूरा शहर चौक हो चुका था। इसमें थाना रोड, तहसील रोड, पुरानी दिल्ली रोड पर वाहनों की लाइनें लग गईं। शहर से बाहर निकलकर जंगल में गढ़-मेरठ हाईवे पर लगे जाम से बच्चे, महिला और वृद्ध प्यास से तड़प रहे थे।
सुबह 11 बजे मध्यगंग नहर पुल पर भीषण जाम लग गया था। इस दौरान महिला, बच्चे और वृद्ध वाहनों से उतरकर पैदल ही तीर्थनगरी की तरफ दौड़ रहे थे। एक घंटे से ज्यादा खड़ी बसें और कार आगे की तरफ नहीं बढ़ रही थीं, जबकि बाइकों को निकलना भी मुश्किल हो रहा था। तापमान बढ़ता जा रहा था और धूल के साथ कच्चे रास्तों से श्रद्धालु और सवारी प्यासे और भूखे आगे बढ़ रहे थे।
पुल के किनारे पर चले तो नीचे गिरने से डर रहे थे लोग
मेरठ रोड पर जाम ने ऐसा विकराल रूप धारण किया कि मध्यगंग नहर के पुल पर वाहनों की लाइन लगने के कारण पुल के किनारे से निकल रहे यात्री रेलिंग टूटने के कारण भय से थर्थर कांप रहे थे।
मेरठ रोड पर दूर-दूर तक पुलिस दिखाई नहीं पड़ रही थी। कई एंबुलेंस जाम में फंसी थीं, जिसमें मुरादाबाद और गढ़ की तरफ से मेरठ को जाने वाले गंभीर रोगी चिल्ला रहे थे। मुरादाबाद का मरीज शमी मोहम्मद जोर-जोर से चीख रहा था, जबकि उसके तीमारदार रो रहे थे। इसके अलावा दिल्ली-लखनऊ के बीच दौड़ रहे कई नेताओं समेत अधिकारियों की गाड़ी फंसी हुई थीं।
कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेले पर भी कभी इतना भयंकर जाम नहीं लगा कि गढ़वासी अपने घर में कैद हो गए हों। ऑफिस जा रहे लोगों को अपनी कार रास्तों के किनारे ही छोड़कर बाइकों से निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा।