Home राष्ट्रीय BJP ने 15 घंटे में कैसे किया डैमेज कंट्रोल…

BJP ने 15 घंटे में कैसे किया डैमेज कंट्रोल…

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6 जून की सुबह, घड़ी की सुइयां 5 बजकर 57 मिनट पर थीं. तभी सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो यानी PIB ने एक पत्र जारी किया. जिसमें मोदी सरकार में आठ कैबिनेट कमेटियों के गठन का जिक्र था. जब यह रिलीज जारी हुई, उस वक्त तक मोदी सरकार के ज्यादातर मंत्री सोकर भी नहीं उठे थे या जो उठे भी थे वे मॉर्निंग वॉक पर रहे होंगे. मगर सूचना के सार्वजनिक होने के बाद सुबह से ही लुटियंस जोन से लेकर सोशल मीडिया पर हलचल मच गई.

दरअसल, नीतिगत फैसलों के लिए कैबिनेट कमेटियों का गठन होता है. कौन मंत्री कितनी कैबिनेट समितियों में शामिल है, इससे सरकार में उसके कद का अंदाजा लगता है. आठ में से सिर्फ दो कैबिनेट कमेटियों में राजनाथ सिंह की मौजूदगी पर पार्टी ही नहीं बाहर भी खुसर-फुसर शुरू हो गई. मोदी सरकार 2.0 में राजनाथ का कद घटने-बढ़ने को लेकर चर्चा होने लगी.

पार्टी से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक चूंकि राजनाथ सिंह इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. वह संसदीय और राजनीतिक मामलों के मोर्चों पर कई बार पार्टी के लिए संकटमोचक भी रहे हैं. पिछली सरकार में इस लिहाज से उन्हें राजनीतिक मामलों की कमेटी में रखा गया था. वहीं पिछली बार रक्षा मंत्री रहते निर्मला सीतारमण और मनोहर पर्रिकर को भी राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटियों में जगह मिली थी. ऐसे में राजनाथ सिंह के इन दो अहम कमेटियों से बाहर रहने पर अटकलें लाजिमी थीं.

सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया मे शुक्रवार को कैबिनेट कमेटियों का गठन सुर्खियों में रहा. राजनाथ सिंह के बाहर होने पर काफी प्रतिक्रिया हुई. सिर्फ दो कमेटियों में नाम दर्ज होने से राजनाथ सिंह के समर्थकों के नाराज होने की भी बातें कही जाने लगीं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री की जगह रक्षा मंत्री का पद मिलने को लेकर पहले से समर्थकों में हल्की-फुल्की नाराजगी थी. मगर बाद में  कैबिनेट कमेटियों में भी भूमिका सीमित किये जाने से सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. इन प्रतिक्रियाओं की गंभीरता को भांपने में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने देरी नहीं की. कहा यह भी जाता है कि बीजेपी और संघ के बीच समन्वय का काम करने वाली भैय्याजी जोशी की कमेटी ने भी इस पर नजर रखी.

सूत्रों की मानें तो बीजेपी में बतौर राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले रामलाल भी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए रहे. यहां बता दें कि बीजेपी में राष्ट्रीय महासचिव भले कई हों, मगर महासचिव (संगठन) का पद केवल एक होता है, जो संघ से आए पदाधिकारी को ही मिलता है. महासचिव (संगठन) की भूमिका बीजेपी और संघ के बीच कड़ी निभाने की होती है.

राजनाथ सिंह मामले में प्रतिक्रियाओं को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने यूपी सहित कई राज्यों के संगठन से फीडबैक भी जुटाया. फिर डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू हुई. बीजेपी को लगा कि कहीं इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में इससे गलत संदेश न जाए और विरोधी दलों के लोग इसे मुद्दा बनाकर पार्टी पर निशाना न साधने की कोशिश करें. ऐसे में राजनाथ सिंह को उनके कद के लिहाज से अहम कमेटियों में जगह देने का फैसला हुआ. फिर रात साढ़े नौ बजे के करीब मीडिया में राजनाथ सिंह को चार और कमेटियों में जगह देने की सूचना जारी हुई.

मोदी सरकार ने जिन आठ कैबिनेट कमेटियों का गठन किया है, उसमें सभी में गृह मंत्री अमित शाह हैं. पीएम मोदी छह कमेटियों में मेंबर हैं. जबकि सर्वाधिक कमेटियों में शामिल होने के बाद शाह के बाद निर्मला सीतारमण का नंबर आता है, वह सात कमेटियों में मेंबर हैं. राजनाथ सिंह को राजनीतिक और संसदीय मामलों की अलग-अलग कैबिनेट कमेटियों के साथ निवेश और विकास, रोजगार और कौशल विकास की भी कैबिनेट कमेटी में भी शामिल किया गया. इस प्रकार वह अब छह कमेटियों से जुड़े फैसलों में शामिल रहेंगे.

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