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सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार के डीजीपी की नियुक्ति के आवेदन को कर दिया खारिज…

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प्रदेश में भले ही पुलिस महानिदेशक को बदलने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो लेकिन यह सरकार के लिए अब उतना आसान नहीं है जितना पहले रहता था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार के उस आवेदन को खारिज कर दिया है जिसमें दलील दी गई थी कि प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति पुलिस एक्ट के तहत की जाती है। कोर्ट ने सरकार की दलील को खारिज करते हुए प्रकाश सिंह मामले में सुनाए गए फैसले के तहत ही नियुक्ति प्रक्रिया अपनाने को कहा है। ऐसे में सरकार को अब डीजीपी बदलने के लिए तीन नामों का पैनल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को ही भेजना होगा।

हालांकि, नए आदेश में अब छह महीने का कार्यकाल बचा होने पर ही अफसर का नाम पैनल में भेजा जा सकता है। पहले दो साल का कार्यकाल होने पर ही पैनल में नाम भेजने की व्यवस्था रखी गई थी। इस नई व्यवस्था के बाद अब प्रदेश सरकार के लिए डीजीपी बदलने की राह आसान नहीं है। दरअसल, प्रदेश में डीजी रैंक के सिर्फ तीन ही अधिकारी मौजूद हैं। प्रदेश के वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी व डीजी जेल सोमेश गोयल को वर्तमान जयराम सरकार ने ही डीजीपी पद से हटाया था, ऐसे में उनका नाम पैनल में भेजना संभव नहीं है।

दूसरे नंबर पर वर्तमान डीजीपी सीताराम मरडी हैं। इसके बाद दिल्ली में प्रदेश सरकार के स्थानीय आयुक्त संजय कुंडू का नाम आता है। इन तीनों के अलावा कोई भी डीजी रैंक का अफसर फिलहाल प्रदेश में नहीं है। ऐसे में सरकार के पास पैनल में भेजने के लिए नाम तक नहीं है। जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को पूरा किए बिना पुलिस के मुखिया का बदलाव संभव नहीं है।

डीजीपी बदलने को लेकर चर्चा पहली बार शुरू नहीं हुई है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से समय से पहले बुलाए गए संजय कुंडू के प्रदेश में आते ही डीजीपी बदलने की चर्चा शुरू हो गई थी। चूंकि कुंडू को मुख्यमंत्री जयराम का करीबी माना जाता है। ऐसे में कहा जा रहा था कि कुंडू को ही डीजीपी बनाया जाएगा। लेकिन इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया और तब से मामला ठंडे बस्ते में था।

वहीं, हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान पीएसओ हटाने को लेकर भी सरकार के मंत्रियों और विधायकों तक ने मुख्यमंत्री से डीजीपी की मौखिक शिकायत की थी। बताया जा रहा है कि डीजीपी ने सभी मंत्रियों और विधायकों के सुरक्षा कर्मी एन चुनाव के दौरान हटाने के आदेश जारी कर दिए थे। शिकायत के बाद मरडी ने अपने ही आदेश वापस ले लिए लेकिन विधायकों की नाराजगी बनी रही। यही वजह है कि चुनाव खत्म होते ही डीजीपी बदलने की चर्चा शुरू हो गई है।

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