Home राष्ट्रीय पठानकोट के विशेष अदालत का फैसला कठुआ गैंगरेप व हत्या के मामले...

पठानकोट के विशेष अदालत का फैसला कठुआ गैंगरेप व हत्या के मामले में 6 दोषी करार एक बरी…

12
0
SHARE

जम्‍मू-कश्‍मीर के कठुआ में 8 साल की बच्‍ची के साथ हुए रेप और उसके बाद उसकी हत्‍या के मामले में पठानकोट की विशेष अदालत ने 6 लोगों को दोषी करार दिया है. कुल 8 आरोपियों में एक आरोपी विशाल को बरी कर दिया गया है, जबकि एक नाबालिग भी है. सरकारी वकील के मुताबिक आज ही सजा का ऐलान हो सकता है. कठुआ रेप व मर्डर केस में अदालत ने आरोपी सांजी राम, आनंद दत्त, प्रवेश कुमार, दीपक खजुरिया, सुरेंद्र वर्मा और तिलक राज को दोषी करार दिया. वहीं एक अन्य आरोपी विशाल को कोर्ट ने बरी कर दिया है. देश को स्तब्ध कर देने वाले इस मामले में बंद कमरे में सुनवाई तीन जून को पूरी हुई थी. दोषी करार दिए जाने वालों में सांझी राम भी है जिसे पूरे घटना का मास्‍टरमाइंड बताया जा रहा था. दोषी करार दिए गए आरोपियों को आजीवन कारावास या मौत की सजा सुनाई जा सकती है.

 

जांचकर्ताओं ने बताया कि 10 जनवरी को अपह्रत बच्ची से उसी दिन सबसे पहले सांझी राम के नाबालिग भतीजे ने बलात्कार किया था. सांझी राम को इस घटना की जानकारी 13 जनवरी को मिली जब उसके भतीजे ने अपना गुनाह कबूल किया. सांझी राम ने जांचकर्ताओं को बताया था कि उसने ‘देवीस्थान ‘में पूजा की और अपने भतीजे को घर प्रसाद ले जाने को कहा, लेकिन वह देर करता रहा. इससे गुस्से में उसे पीट दिया. पिटने के बाद नाबालिग ने सोचा कि शायद उसके चाचा को लड़की से रेप करने की बात पता चल गई है और उसने खुद ही सारी बात कबूल कर ली. नाबालिग ने अपने चचेरे भाई विशाल (सांझी राम का बेटा) को भी इस मामले में फंसाया और कहा कि दोनों ने मंदिर के अंदर बच्ची से बलात्कार किया. यह जानने के बाद सांझी राम ने तय किया कि बच्ची को मार दिया जाना चाहिए, जिससे वह अपने बेटे तक पहुंचने वाले हर सुराग को मिटा सके. साथ ही घूमंतु समुदाय को भगाने के अपने मकसद को भी हासिल कर सके.

इसके बाद 14 जनवरी को सांझी राम ने बच्ची की हत्या कर दी. हालांकि इसके बाद चीजें योजना के मुताबिक नहीं हुईं. वह बच्ची को मारने के बाद उसे हीरानगर नहर में फेंकना चाहता था, लेकिन वाहन का इंतजाम नहीं होने के कारण उसे उसी ‘देवीस्थान’ में वापस ले आया जिसका सांझी राम सेवादार था. बाद में बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल से बरामद हुआ था. जांचकर्ताओं ने बताया था कि सांझी राम ने अपने भतीजे को जुर्म स्वीकार करने के लिए तैयार कर लिया था, लेकिन बेटे विशाल को इससे दूर रखा और उसे आश्वासन दिया था कि उसे रिमांड होम से जल्द बाहर निकाल लेगा.

गौरतलब है कि इस मामले में नाबालिग के अलावा सांझी राम, उसके बेटे विशाल और पांच अन्य को आरोपी बनाया गया है. जांचकर्ताओं ने जैसा (पीटीआई-भाषा को) बताया कि बच्ची को हिंदू वर्चस्व वाले इलाके से घुमंतू समुदाय के लोगों को डराने और हटाने के लिए यह पूरी साजिश रची गई. दूसरी तरफ, सांझी राम के वकील अंकुर शर्मा ने जांचकर्ताओं द्वारा किए जा रहे घटना के इस वर्णन पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था और कहा था कि वह अपनी बचाव रणनीति नहीं बता सकते.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here