भोपाल। मास्टर प्लान बनाने का काम चल रहा है। इसमें आवासीय, व्यवसायिक, सार्वजनिक उपयोग, औद्योगिक, यातायात और निम्न घनत्व की जमीनों के उपयोग के बारे में डिटेल रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जबकि कलेक्टर गाइडलाइन में सिर्फ दो तरफ की जमीनों के रेट्स दर्शाए गए हैं।
डायवर्टेड जमीन और दूसरी उपबंध के अनुसार आवासीय, व्यवसायिक एवं अन्य जमीनों के उपयोग का उल्लेख है। लेकिन उपयोग के अनुसार जमीनों की दरों को अलग से नहीं खोला गया है। जबकि होना यह चाहिए कि जिस भूमि का जो उपयोग है, उसके हिसाब से उसके रेट्स तय होंं। निम्न घनत्व की जमीनों के रेट्स भी ज्यादा लिए जा रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। सरकार को इसकी स्टांप ड्यूटी को कम करना चाहिए।
इसका खुलासा पंजीयन मुख्यालय में पहुंची आपत्तियों की रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट प्रस्तावित गाइडलाइन पर ली गई दावे-आपत्तियों के बाद तैयार की गई थी। इन आपत्तियों पर इस महीने होने वाली केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा।