एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम की वजह से 100 से भी ज़्यादा बच्चों की मौत हो जाने के बाद मंगलवार को पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुज़फ़्फ़रपुर मेडिकल कॉलेज का दौरा किया. अस्पताल में मौत का सिलसिला 17 दिन पहले शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है. पूरे बिहार में अब तक 126 बच्चों की मौत हो चुकी है, और मुख्यमंत्री के इस रवैये से लोगों में काफी नाराज़गी है.
समूचे बिहार में जारी एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम के तांडव में सवा सौ से ज़्यादा, और सिर्फ मुज़फ़्फ़रपुर में 109 बच्चों के काल के गाल में समा जाने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फुर्सत मिली, और मंगलवार को वह मुज़फ़्फ़रपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पहुंचे, जहां अब तक 89 बच्चों की मौत हो चुकी है. SKMCH के अलावा मुज़फ़्फ़रपुर के ही केजरीवाल अस्पताल में भी 19 बच्चे इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो चुके हैं.
इस बीमारी के सबसे ज़्यादा शिकार मुज़फ़्फ़रपुर में ही देखने को मिल रहे हैं, और मंगलवार सुबह SKMCH के सुपरिंटेंडेंट सुनील कुमार शाही ने जानकारी दी थी कि कुल मिलाकर अस्पताल में 330 बच्चों को एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम (AES) के चलते भर्ती करवाया गया, जिनमें से 100 को इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है, और 45 बच्चों को मंगलवार को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
सिर्फ 17 दिन के भीतर एक ही शहर में यह बीमारी सौ से ज़्यादा बच्चों की जान ले चुकी है, और मुख्यमंत्री से पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी रविवार को ही पहली बार मुज़फ़्फ़रपुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मरीज़ों और उनके परिजनों से मुलाकात के अलावा डॉक्टरों से भी बात की. हालांकि इस दौरे के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री की दिलचस्पी मृतक बच्चों की संख्या जानने से ज्यादा भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे मैच का स्कोर जानने में थी. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे भी सोते हुए नज़र आए थे.
रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने भी मुज़फ़्फ़रपुर का दौरा किया था. डॉ हर्षवर्धन ने भी सोमवार को बताया था, “हमारी टीमें वहां पहले दिन से ही तैनात हैं, और काम कर रही हैं… मैं भी वहां जाकर मरीज़ों से मिला हूं… मैंने उनकी केसशीट भी पढ़ी, और डॉक्टरों से विस्तार से बात भी की…”
डॉ हर्षवर्धन वर्ष 2014 में भी मुज़फ़्फ़रपुर मेडिकल कॉलेज गए थे, और 2019 में भी आए. 20 से 22 जून, 2014 तक डॉ हर्षवर्धन मुज़फ़्फ़रपुर में ही रहे थे. इस दौरे के बारे में उन्हीं दिनों डॉ हर्षवर्धन ने फेसबुक पर विस्तार से लिखा था, जो अब तक मौजूद है. उसके कुछ दिन बाद वह स्वास्थ्य मंत्री पद से हटा दिए गए और उनकी जगह डॉ जे.पी. नड्डा आ गए. उसके बाद से इन पांच साल में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुज़फ़्फ़रपुर को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं किया, जो इस समस्या से निपटने में मदद कर सके. उन घोषणाओं पर भी अब तक अमल नहीं किया गया है, जो कई स्तरों की बैठकों के बाद की गई थीं. वर्ष 2014 में डॉ हर्षवर्धन ने कहा था कि 100 फीसदी टीकाकरण होना चाहिए, यानी कोई भी बच्चा टीकाकरण से नहीं छूटना चाहिए. उन्होंने कहा था कि जल्द ही मुज़फ़्फ़रपुर में 100 बिस्तरों वाला बच्चों का अस्पताल बनाया जाएगा, लेकिन पांच साल बाद डॉ हर्षवर्धन दोबारा स्वास्थ्य मंत्री बने हैं, और वही सब घोषणाएं दोहरा रहे हैं, जो उन्होंने 2014 में की थीं.