भाजपा संगठन की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचने की जेपी नड्डा की कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा हाथ हिमाचल की सियासी प्रयोगशाला कांगड़ा का रहा है। महज 29 साल की उम्र में नड्डा को भाजपा में कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र के प्रभारी के तौर पर संगठन में पहली बड़ी जिम्मेदारी मिली थी। अपनी पहली जिम्मेदारी में बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत इसी अल्प कार्यकाल में नड्डा प्रदेश भाजपा महामंत्री और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। नड्डा के प्रभारी रहते ही शांता कुमार ने 1989 में लोकसभा चुनाव में कांगड़ा सीट जीती थी। इसके तुरंत बाद 1990 में विधानसभा चुनाव हुए।
इस दौरान भी नड्डा ही कांगड़ा सीट के प्रभारी थे। इस चुनाव में भी भाजपा ने कांगड़ा-चंबा सीट के विधानसभा क्षेत्रों में बंपर जीत हासिल की। कांगड़ा से सक्रिय राजनीति का सियासी सफर ऐसा शुरू हुआ कि नड्डा को 1993 में बिलासपुर सदर से टिकट मिला और जीत भी हासिल कर ली।इसी बीच वह नेता प्रतिपक्ष बने। नड्डा लंबे समय तक कांगड़ा की सियासी प्रयोगशाला में संगठन की जड़ें मजबूत करते रहे। राजनीति की चौसर पर कांगड़ा नड्डा के लिए लक्की साबित रहा। कांगड़ा में सियासी सफर के दौरान नड्डा ने युवा नेताओं को उभारा।
नड्डा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनते ही कांगड़ा-चंबा के कई भाजपा नेता बेहद खुश हैं। इन नेताओं को नड्डा ने ही नेता बनाया था जो आज हिमाचल की राजनीति में खासा असर डालते हैं। वहीं, धर्मशाला में उपचुनाव की तैयारियों के बीच नड्डा की ताजपोशी ने कुछ सियासी समीकरण भी बदल दिए हैं।पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने जेपी नड्डा को ताजपोशी की बधाई दी है। शांता कुमार ने कहा कि जेपी नड्डा का कठिन परिश्रम उनके लिए मुफीद बना। वहीं, भाजपा नेता संजय शर्मा ने बताया जेपी नड्डा के लिए कांगड़ा राजनीति की प्रथम कर्मभूमि थी। यहीं से नड्डा बुलंदियां छूते गए। विधायक राकेश पठानिया ने कहा ‘जेपी नड्डा जब कांगड़ा चंबा के प्रभारी थे तब उन्होंने ही 1990 में मुझे भाजपा में लाया था। उन्हीं की वजह से मुझे टिकट मिला और मैं नेता बना। नड्डा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से हिमाचल का नाम पूरे विश्व में प्रचारित हो रहा है।’