Home मध्य प्रदेश 21 माह की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास…

21 माह की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास…

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दमोह. रेलवे स्टेशन के पास बने जलसा में 21 माह की मासूम से दुष्कर्म के आरोपी को विशेष न्यायालय संदीप श्रीवास्तव की अदालत ने आजीवन कारावास और जुर्माना की सजा सुनाई। आरोपी जब तक जीवित रहेगा, तब तक जेल में रहेगा।

अभियोजन के अनुसार 18 जुलाई 2018 को एक 21 माह की बच्ची अपने पिता के साथ स्टेशन परिसर में सो रही थी। इसी बीच आरोपी श्यामलाल पिता पूरन अहिरवार (35) निवासी पटउवा थाना बंडा जिला सागर द्वारा उसे उठाकर प्लेटफॉर्म नंबर 3 के बाजू से बने जलसा में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची का पिता उसे रात भर ढूंढता रहा, लेकिन बच्ची नहीं मिला।

सुबह पुलिस को सूचना मिली कि एक बच्ची जलसा के पास पोर्च में बेसुध अवस्था में पड़ी है, तथा बच्ची फ्रांक पहने हुए है और उसके शरीर पर एक शर्ट डली है। डॉक्टर ने बालिका से दुष्कर्म की पुष्टि की थी: इस मामले में आरोपी की पहचान रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज से हुई। जिसमें आरोपी बच्ची को अपने साथ लेकर जाते हुए दिख रहा है।

सीसीटीवी फुटेज के वीडियो से आरोपी की पहचान रेलवे स्टेशन के आसपास के लोगों ने एवं दुकानदारों ने श्यामलाल के रूप में की। पुलिस विवेचना अधिकारी अरविंद दांगी द्वारा आरोपी को घटना के दो दिन बाद खुरई रेलवे स्टेशन के पास कबाड़ बीनते हुए गिरफ्तार किया गया। जिसे दमोह लोकर मेडिकल परीक्षण कराया गया। आरोपी द्वारा बच्ची द्वारा पहने गए चांदी की पायलें एवं चूड़ा बांदकपुर के एक ज्वेलर्स के यहां से जब्त की गई, जहां पर आरोपी द्वारा बेची गई थीं।

आरोपी की पहचान होने के बाद डीएनए रिपोर्ट मैच होने से घटना की पुष्टि हुई एवं मामला प्रमाणित हुआ।

प्रकरण में 8 दिन में विवेचना पूरी करने के बाद चालान न्यायालय में पेश किया गया। जिसमें अभियोजन द्वारा 27 गवाहों का परीक्षण कराया गया। चालान पेश दिनांक से फैसले तक करीब 49 पेशियां चलीं। घटना दिनांक से 11 माह में फैसला आया।

 जिला अभियोजन अधिकारी बीएम शर्मा ने बताया कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय जबलपुर के न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किए गए। साथ ही आरोपी को फांसी की सजा दिलाने के लिए तर्क रखे गए। न्यायालय के समक्ष आरोपी द्वारा 21 माह की बच्ची के साथ की गई दुष्कर्म की घटना रेयर ऑप दा रेयरेस्ट प्रकृति की थी। इसमें आरोपी को फांसी की सजा दी जानी चाहिए, इस तरह का कथन उच्चतम न्यायालय द्वारा वचन सिंह विरूद्ध पंजाब राज्य में अवधारित किया गया था। इस मामले में आरोपी पक्ष के वकील देवी सिंह राजपूत का कहना है मैंने जब जेल में आरोपी से मुलाकात ने दहशत के चलते अपना जुर्म कबूल किया है। उस समय मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। मैने उसे बचाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन उच्च न्यायालय से बेदाग बरी हो जाएगा।

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