विश्व क्रिकेट में एशिया पिछले कुछ दशक से अपनी धाक जमाए हुए है. तीन एशियाई देश- भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने चार वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम कर चुके हैं. भारत 1983 और 2011 में दो बार विश्व विजेता बना. वहीं पाकिस्तान ने 1992 और श्रीलंका ने 1996 में वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर क़ब्जा किया.
एशियाई क्रिकेट में बांग्लादेश के जुड़ने के बाद और उत्साह का माहौल बना. सबसे नई एंट्री के तौर पर अफ़गानिस्तान भी धीरे-धीरे अपनी पहचान मज़बूत कर रहा है. दिलचस्प तथ्य यह है कि इस बार वर्ल्ड कप में जितनी टीमें हिस्सा ले रही हैं, उनमें से आधी दक्षिण एशिया से है. हालांकि भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका क्रिकेट में पिछले कुछ अर्से से ताकत माने जाते रहे हैं. ये आपस में एक-दूसरे से जब भी भिड़ते हैं, तो रोमांचक मुक़ाबले की उम्मीद की जाती है. वहीं बांग्लादेश को शुरुआत से ही ‘छुपा रूस्तम’ माना जाता रहा है.
हालांकि अब क्रिकेट में मज़बूती को लेकर एशियाई देशों में बदलाव देखने को मिल रहा है. हालांकि भारत ने एशियन डर्बी में अपना दबदबा कायम रखा हुआ है, लेकिन बांग्लादेश ने अपने खेल के स्तर को काफ़ी ऊंचा किया है. पाकिस्तान ने अपना प्रदर्शन कायम रखा हुआ है, लेकिन श्रीलंका अब खेल के स्तर को लेकर पिछड़ता नज़र आ रहा है भारत और पाकिस्तान के बीच मैच, जिन्हें पहले हमेशा महामुक़ाबले की तरह लिया जाता था, अब अपनी चमक कुछ खोते जा रहे हैं. अब ये मुक़ाबले एकतरफ़ा माने जाने लगे हैं जिसमें अधिकतर पलड़ा भारत के पक्ष में झुका रहता है.
इंडिया टुडे ग्रुप की डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने मौजूदा वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने वाली 5 एशियाई क्रिकेट टीमों के 2015 से बाद के प्रदर्शन को खंगाला. जानने की कोशिश कि 2015 वर्ल्ड कप के बाद इन टीमों का प्रदर्शन एक-दूसरे के ख़िलाफ़ कैसा रहा इस मामले में सबसे अव्वल प्रदर्शन भारत का रहा है, जिसने एशियाई देशों के ख़िलाफ़ खेले गए 21 मुक़ाबलों में 15 अपने नाम किए. जीत की ये दर 71% बैठती है. जीत प्रतिशत के हिसाब से इसके बाद बांग्लादेश (55%) और पाकिस्तान (54%) का नंबर आता है.
सबसे ज़्यादा हैरानी 1996 के वर्ल्ड कप चैंपियन श्रीलंका के खेल के स्तर में पिछले चार साल में आई गिरावट को लेकर है. श्रीलंका ने इस दौरान अन्य एशियाई देशों के ख़िलाफ़ खेले गए 29 मैचों में से सिर्फ 8 में जीत का मुंह देखा. श्रीलंका का जीत का प्रतिशत सिर्फ़ 28% है और वो अफ़गानिस्तान से भी पीछे है. अफ़गानिस्तान ने 2015 वर्ल्ड कप के बाद एशियाई देशों के ख़िलाफ़ 9 मैच खेले और 3 में जीत हासिल की. यहीं नहीं अफ़गानिस्तान ने एशिया कप 2018 में भारत जैसी ताकतवर टीम के ख़िलाफ़ मैच को टाई करने में भी कामयाबी हासिल की.