यह सभी को पता है कि सनस्क्रीन सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमारी त्वचा की रक्षा करती है इसलिए घर से बाहर कदम रखने से पहले इसे स्किन पर लगाना चाहिए. हालांकि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि घर के अंदर रहने के दौरान भी चेहरे पर सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है.
आज के जमाने में हम तमाम डिवाइसों से घिरे हुए हैं. घर में रहने के दौरान भी हम सोते या बैठते वक्त लैपटॉप, मोबाइल फोन, टैबलेट का उपयोग करते हैं और इनसे निकलने वाली हानिकारक विकिरणों का दुष्प्रभाव हमारी त्वचा पर पड़ती है.
त्वचा विशेषज्ञ रश्मि शर्मा ने एक बयान में कहा, “डिजिटल पर बढ़ती निर्भरता ने हमारी त्वचा को सबसे ज्यादा हानिकारक इन नीली किरणों से अवगत कराया है. हालांकि उपभोक्ता सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से खुद को बचाने के लिए एहतियाती उपायों से अच्छी तरह से वाकिफ हैं, लेकिन इन नीली विकिरणों का त्वचा पर हानिकारक प्रभावों के बारे में वे अभी भी अंजान हैं और इससे सुरक्षा के उपाय भी उपलब्ध हैं.”
उन्होंने कहा, “रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दृश्यमान नीले विकिरणों से त्वचा की सुरक्षा बहुत जरूरी है क्योंकि इससे समय से पहले चेहरे पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को देखा जा सकता है और इसके साथ ही झुर्रियां, स्किन ढीली पड़ जाना और हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है. इस नीली रोशनी को हाई-एनर्जी विजिबल लाइट्स के नाम से जाना जाता है जो पराबैंगनी किरणों की तुलना में त्वचा की गहराई में प्रवेश करने की क्षमता रखती है जिससे स्किन को नुकसान पहुंचती है.”
इससे स्पष्ट है कि घर से बाहर हो या घर के अंदर, दोनों ही स्थिति में स्किन की देखभाल आवश्यक है. रश्मि ने आगे सुझाव दिया, “इस दुष्प्रभाव को कुछ हद तक सीमित रखने के लिए अपने डिजिटल उपकरणों पर ब्लू लाइट्स शील्ड का उपयोग सुनिश्चित करें और घर के अंदर रहने के दौरान भी चेहरे पर सनस्क्रीन लगाए.”
ऑर्गेनिक हार्वेस्ट के अनुसंधान और विकास विशेषज्ञ धर्मा राजपूत ने कहा कि कैयोलिन क्ले और एलोवेरा युक्त सनस्क्रीन का उपयोग अपनी त्वचा की देखभाल के लिए करें जो त्वचा से गंदगी को दूर कर आपको 24/7 सुरक्षा प्रदान करती है.उन्होंने यह भी कहा, “यूवीए और यूवीबी किरणों से त्वचा की सुरक्षा के लिए एक फुल टेबल स्पून ऑर्गेनिक सनस्क्रीन का उपयोग करें और घर में रहने के दौरान भी हर दो या तीन घंटे में चेहरे को साफ कर इसे दोबारा से अप्लाई करें.”