हिमाचल के सेब बगीचों में स्कैब के हमले से हड़कंप मच गया है। सेब को स्कैब से बचाने के लिए प्रदेश सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। प्रदेश में 4500 करोड़ का कारोबार करके देने वाले सेब की फसल को रोगमुक्त करने के लिए सरकार ने विभागीय अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं।
विभाग हर वर्ष डॉ. वाईएस परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विवि नौणी के सहयोग से रोग पर काबू पाने को छिड़काव सारिणी तैयार करवाता है। इसके अनुसार आवश्यक दवाइयों का वितरण किया जाता है। विभाग ने इस स्थिति से निपटने के लिए निदेशालय स्तर पर एक समिति का गठन किया है।जो रोग के नियंत्रण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आवश्यक दवाइयां को प्रभावित क्षेत्रों में आपूर्ति एवं वितरण पर निगरानी रखेगी। इस वर्ष फरवरी से ही उच्च आर्द्रता का वातावरण बना है। इससे इस रोग के बीजाणु पनप रहे हैं।
डॉ. धीमान ने कहा कि अखरोट के आकार के सेब पर मैनकोजेब या प्रोपिनेब या डोडीन अथवा माइक्लोबुटानिल का छिड़काव करें। छिड़काव के एक-दो घंटे बाद बारिश होती है तो दूसरे दिन फिर छिड़काव करें। कृषि विज्ञान केंद्र रोहड़ू के बागवानी विशेषज्ञ एवं प्रभारी डॉ. नरेंद्र कायथ ने कहा कि स्कैब फंफूद से पैदा होने वाली बीमारी है। पत्तियों में फैलने से समय से पहले बगीचों में पतझड़ शुरू हो जाती है। जहां स्कैब फैल चुका है, वहां उसे अभी रोका जा सकता है। बीमारी से ग्रस्त फल ठीक नहीं हो सकते।