अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो नई दिल्ली पहुंच चुके हैं और आज उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. पॉम्पियो विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से भी मिलेंगे.अमेरिकी विदेश मंत्री ऐसे समय में भारत आए हैं जब भारत रूस से एस 400 मिसाइल खरीद रहा है, अमेरिका एच 1 बी वीजा में कमी लाने की कोशिश कर रहा है और वॉशिंगटन-तेहरान में संबंध बेहद खराब हैं.
तय कार्यक्रमों के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर और पॉम्पियो बुधवार को भारत द्वारा रूस से एस 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद, आतंकवाद, एच1बी वीजा, व्यापार और ईरान से तेल खरीद पर अमेरिकी प्रतिबंधों से उत्पन्न होने वाली स्थिति सहित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करेंगे.
पॉम्पियो जयशंकर के साथ बैठक के अलावा भारतीय विदेश मंत्री की तरफ से आयोजित भोज में भी शामिल होंगे. वे भारतीय और अमेरिकी उद्योग जगत के लोगों से मिलेंगे और यहां स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में भाषण देंगे.अमेरिका और ईरान के बीच तनाव इन दिनों चरम पर है. ईरान द्वारा अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने के बाद अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिका का साफ-साफ कहना है कि ईरान से कोई भी देश कच्चा तेल नहीं खरीदे.
अमेरिका और ईरान के बीच तनावों की पृष्ठभूमि में भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर मंगलवार को एस जयशंकर ने कहा कि यह राष्ट्रीय हित के आधार पर तय किया जाएगा. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘कई अंतरराष्ट्रीय मसले हैं जिनकी प्रकृति कठिन है और अमेरिका ईरान का मुद्दा भी ऐसा ही है. हमारे संबंध अमेरिका के साथ हैं और ईरान के साथ भी हैं . हमारे संबंध क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी हैं .’’
भारत रूस से एस- 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद रहा है. राजनयिक सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ निजी और सार्वजनिक स्तर पर चर्चा हुई है और वॉशिंगटन के लिए यह ‘थोड़ी चिंता’ की बात है. एक सूत्र ने बताया, ‘‘रूस के साथ हमारे पुराने रक्षा संबंध हैं जिन्हें हम खत्म नहीं कर सकते हैं.’’
भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर में 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए रूस से समझौता किया था. भारत ने अमेरिकी चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए इस समझौते को आगे बढ़ाया. सूत्रों ने बताया कि अमेरिका उन परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ है जिनके कारण वह एस-400 जैसी प्रणाली खरीदने के लिए ‘‘बाध्य’’ है.अमेरिका एच1बी वीजा की संख्या कम करने को लेकर कोशिश में जुटा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा की सालाना संख्या को कम करने का फैसला किया है. इसका सबसे अधिक प्रभाव भारत पर पड़ेगा. भारत सरकार इस पर आपत्ति जता चुकी है.
हाल ही में अमेरिका ने सामान्यीकृत वरीयता प्रक्रिया (जीएसपी) के दायरे से भारत को बाहर कर दिया. इसके तहत भारतीय उत्पादों को कर में छूट मिलती थी. इस कदम से निर्यात प्रभावित होने का खतरा है.यही नहीं राष्ट्रपति ट्रंप कई मौकों पर अमेरिकी उत्पादों पर भारत की ओर से लगाए गए कर की आलोचना कर चुके हैं. उन्होंने पिछले दिनों कहा कि भारत ने अमेरिका के कागज के उत्पादों और हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर काफी ऊंचा शुल्क लगाया हुआ है. उन्होंने कहा था कि आप किसी भी देश का नाम लें, हमें नुकसान हुआ है, लेकिन आगे हम नुकसान नहीं सहेंगे.