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भोपाल में नहीं टूटेगा BRTS कॉरिडोर, खामियों को दूर करने बनाई जाएगी रिपोर्ट..

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भोपाल. सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एस वेलमुरुगन ने कहा कि दिल्ली और भोपाल के बीआरटीएस की तुलना नहीं की जा सकती। कॉरिडोर के इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई खामी नहीं है। यहां इसे हटाने की जरूरत नहीं है। कुछ व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने किए जाने पर काम होना चाहिए। लेन में बूम बेरियर लगाने के अलावा बसों की फ्रिक्वेंसी बढ़ाई जानी चाहिए। और भी कई तकनीकी बातें हैं जिसका एनालसिस करने के बाद तीन से चार महीने में रिपोर्ट दे दी जाएगी।

उन्होंने कहा बीआरटीएस में हो रही दुर्घटनाओं को लेकर कहा कि यह डेटा के अध्ययन के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। आज वेलुमुरुगन के साथ मंत्रालय में बैठक रखी गई है। इस दौरान लेन के निर्माण, फायदे व नुकसान, दुर्घटनाएं, भविष्य में ट्रैफिक सिस्टम, जनसंख्या व कनेक्टविटी पर विचार मंथन किया जाएगा।

इससे पहले आज सुबह डॉ. एस वेलमुरुगन अपनी टीम के साथ भोपाल आए। राजाभोज एयपोर्ट से सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एस. वेलमुरुगन सीधे बैरागढ़ पहुंचे और बीआरटीएस लेन को देखा और वहां मौजूद अधिकारियों से इस पर बात की। डॉ. वेलमुरुगन वही शख्स हैं, जिनकी सिफारिश पर दिल्ली में आफत बने बीआरटीएस को उखाड़ दिया गया था। इसके बाद दिल्ली में बीआरटीएस के विस्तार के काम पर भी ब्रेक लग गया था।

24 किमी के इस कॉरिडोर में 2016 से 2018 तक 121 एक्सीडेंट और 21 लोगों की हो चुकी मौत हो चुकी है। संत हिरदाराम नगर में कॉरिडोर में हुए हादसे और फिर पुलिस अभिरक्षा में हुई युवक की मौत के बाद बीआरटीएस के सुरक्षित सफर पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं। संतनगर में कॉरिडोर की जगह-जगह रैलिंग टूटी है और सड़क उखड़ चुकी है। मिक्स लेन और डेडिकेटेड लेन में गड्‌ढे हो गए हैं। यहां हर कदम पर हादसों का डर है। बीआरटीएस के चलते संतनगर का कारोबार ठप हो चुका है।

नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन भी व्यापारियों की तकलीफ देखकर यहां से कॉरिडोर हटाने का भरोसा दे चुके हैं लेकिन अफसर उनकी इस मंशा पर अडंगा लगा रहे हैं। 16 जनवरी को संतनगर में कॉरिडोर उखाड़ फेंकने की मंत्री की घोषणा के अगले दिन अफसरों ने नया शिगूफा छेड़ दिया था। नगर निगम कमिश्नर ने 17 जनवरी को आनन फानन में डेडिकेटेड कॉरिडोर में स्कूल बसों और सूत्र सेवा की यात्री बसों को अनुमति जारी किए जाने के आदेश दिए। हालांकि इसमें भी सात शर्तें रख दी गईं। बाद में कहा गया कि किसी बस संचालक ने इसके लिए आवेदन ही नहीं दिया।

संत हिरदाराम नगर पहुंचे नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने व्यापारियों का भरोसा दिलाया था कि कॉरिडोर हटाने की आपकी राय पर जल्द अमल होगा। जिस उद्देश्य के लिए इसे बनाया गया था, वो पूरी तरह से असफल रहा है। इसमें हर पांच मिनट में एक बस चलने की बात कही गई थी। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो पाया। अक्सर के कॉरिडोर खाली रहता है। और आम लोगों के लिए बनी लेन में ट्राफिक जाम रहता है।

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