राजधानी में सक्रिय पार्किंग माफियाओं ने एमपी नगर जाेन वन में हाेटल सुरेंद्र विलास के सामने सड़क के उस पार खाली पड़ी जमीन पर एक और अवैध पार्किंग शुरू कर दी है। यहां दिनभर में एक हजार से ज्यादा दाेपहिया और चार पहिया वाहनाें की पार्किंग कराई जा रही है। अवैध पार्किंग का संचालन करने वाले युवकाें का दावा है कि नगर निगम की पार्किंग सेल ने मुख्य सड़क पर दी गई पार्किंग यहां शिफ्ट की है। जबकि, निगम ने उक्त पार्किंग लाेकसभा चुनाव से पहले ही समाप्त कर दी है। ऐसे में पार्किंग माफिया चार महीने से यहां अवैध पार्किंग का संचालन कर रहे हैं।
हाेटल सुरेंद्र विलास के सामने सड़क के उस पार की खाली जमीन पर पहले पानी की पाइप लाइन के लीकेज के कारण दलदल और झाड़ियां थीं। छह महीने पहले निगम ने पाइप लाइन के उक्त हिस्से काे बदल दिया। एेसे में लीकेज बंद हाेने के कारण न सिर्फ जमीन सूख गई है, बल्कि झाड़ियां भी खत्म हाे गई हैं। इसी का फायदा उठाते हुए पार्किंग माफिया ने वहां अवैध पार्किंग शुरू कर दी है। हैरानी की बात यह है कि अवैध वसूली की जानकारी निगम काे भी है। अधिकारियाें ने कार्रवाई के लिए जाेनल अधिकारी काे लिखा भी लेकिन, महीनेभर बाद भी जाेनल अधिकारी की ओर से अभी तक काेई कार्रवाई नहीं की गई है।
पार्किंग में तैनात युवक दाेपहिया के 5 व चार पहिया के 20 रुपए वसूलते हैं। ज्यादातर लोगों काे पर्ची नहीं दी जाती है। यदि काेई पर्ची मांगे ताे उसे पुराने रसीद कट्टाें की फटी हुई रसीद (रसीद का गाड़ियाें पर लगाया जाने वाला हिस्सा) देकर चलता कर दिया जाता है। अगर किसी ने असल रसीद मांगी ताे वसूलीबाज वाहन चालक से झगड़ा करने पर उतारू हाे जाते हैं।
रसीद तीन हिस्से में हाेती है। पहला हिस्सा पार्किंग कर्मचारी काे वाहन मालिक काे देना हाेता है। जबकि, दूसरा हिस्सा वाहन पर लगाया जाता है। दाेनाें पर स्पष्ट लिखा हाेता है कि पर्ची वाहन पर लगाने वाली है या फिर वाहन मालिक काे देने के लिए है। जबकि तीसरा हिस्सा रसीद कट्टे में ही रहता है जाे वापस निगम के पास जमा किया जाता है।
पार्किंग में वसूली कर रहे गाेलू नामक युवक ने 85 नंबर की जाे रसीद दी वह जाेन नाै के अंतर्गत अाने वाले वार्ड 43 से जारी किए गए रसीद कट्टा क्रमांक 992 की थी। जब वार्ड कार्यालय से जानकारी जुटाई गई ताे पता चला कि उक्त रसीद और रसीद कट्टे 26 फरवरी 2019 काे एआरआई शादाब जमाली काे जारी किया गया था। सवाल यह है कि जब रसीद कट्टा निगम के एआरआई काे जारी हुआ ताे उसकी रसीद अवैध वसूली करने वालाें के कैसे पहुंची?