कर्नाटक में एक के बाद एक कई विधायकों के इस्तीफे करने से संकट में घिरी कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार संकट और ज्यादा मंडराने लगा है. सोमवार को पहले निर्दलीय विधायक ने नागेश ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस के सभी 21 मंत्रियों ने मंत्रीपद छोड़ दिया. एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस के मंत्रियों ने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है, मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर फैसला पार्टी पर छोड़ दें.
कांग्रेस के बाद जेडीएस के भी सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया. कर्नाटक मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है कि कांग्रेस की तरह जेडीएस के भी सभी मंत्रियों ने दिया इस्तीफा, नए कैबिनेट का जल्द होगा पुनर्गठन.
वहीं कर्नाटक के मंत्री एवं निर्दलीय विधायक एच. नागेश ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया और एच डी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेकर राज्य में सत्तारूढ़ जद(एस)-कांग्रेस की सरकार को एक और झटका दिया है. हाल ही में लघु उद्योग मंत्री के तौर पर मंत्रालय में शामिल किए गए नागेश ने यहां राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की और त्यागपत्र सौंपा.
इसके अलावा कांग्रेस के एक और विधायक ने इस्तीफा देने की सोमवार को धमकी दी है. कर्नाटक के मंत्री एवं बीदर उत्तर के विधायक रहीम महमूद खान ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अपनी समस्याओं के बारे में सूचित कर दिया है और उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर के निवास पर बैठक के बाद फैसले लेने की बात कही. कांग्रेस के नौ विधायकों और जद (एस) के तीन विधायकों ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया था. इससे सरकार पर संकट मंडरा रहा है. कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने एक जुलाई को इस्तीफा दिया था.
खेल एवं युवा सशक्तिकरण मंत्री खान ने बताया, मेरे विभाग को इस साल केवल 15 करोड़ रुपये का बजट मिला और यह भी बस अभी जारी किया गया है. इस राशि में से 13 करोड़ रुपये पुराने बिलों को चुकाने में लग जाएंगे. मैं शेष दो करोड़ रुपये के साथ कर्नाटक भर में विभिन्न परियोजनाओं को कैसे पूरा करुंगा? खान ने कहा कि वह बागी समूह के साथ नहीं जाना चाहते लेकिन स्थिति ने उन्हें फैसला लेने पर मजबूर किया है.
जद (एस)-कांग्रेस की गठबंधन सरकार के विधानसभा में कुल 118 विधायक हैं. इनमें इस्तीफा दे चुके विधायक भी शामिल हैं. इन 118 विधायकों में से अध्यक्ष के अलावा 78 कांग्रेस के, 37 जद (एस) के, बसपा का एक और दो निर्दलीय विधायक हैं. सदन में भाजपा के 105 विधायक हैं जहां बहुमत 113 होना चाहिए. अगर इस्तीफे स्वीकार होते हैं तो गठबंधन के सदस्यों की संख्या 105 पर आ जाएगी. अध्यक्ष का भी एक मत है.