दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने बार-बार सैंपल फेल होने पर हिमाचल के 20 दवा उद्योगों में उत्पादन पर रोक लगा दी है जबकि आधा दर्जन को नोटिस जारी किए हैं। छह महीने के भीतर प्रदेश में उत्पादित 67 दवाओं के सैंपल हुए हैं। प्राधिकरण ने ऐसे 100 उद्योगों की सूची बनाई और जांच-पड़ताल के बाद यह बड़ी कार्रवाई की है जिससे हड़कंप मच गया है। ये उद्योग सोलन के बीबीएन, सिरमौर और कांगड़ा जिला में स्थापित हैं। ये सभी एलोपैथी दवा बनाते हैं। राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने पुष्टि करते हुए कहा कि मानक पूरे होने तक इन उद्योगों में उत्पादन शुरू नहीं होगा।
जिन छह उद्योगों में ताजा दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उन पर कार्रवाई करने के लिए सहायक औषधि नियंत्रक, उप औषधि नियंत्रक को कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। जून में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के अलर्ट में हिमाचल की दवाएं मानकों पर खरा नहीं उतर पाई हैं। ताजा ड्रग अलर्ट में देशभर में फेल 25 दवाओं में हिमाचल के उद्योगों की 7 दवाओं के बैच फेल पाए गए हैं। इन्हें बाजार से वापस बुला लिया गया है।
फेल हुई दवाओं में क्रिसेंट लिमिटेड कुंजाहल की टेलमीसारटन 40, साई टेक मेडिकेयर कालाअंब की एमोक्सीसिलिन पोटैशियम कलवनेट, जी लैबोरेटरीज पांवटा साहिब की पैंटरापजोल, ग्रेमपस लैबोरेटरीज कालाअंब की नियोमाईसिन सलफेट पॉलीमीजिन सलफेट एंड बैक्ट्रिसीन जिंक पाउडर के दो बैच, रेडिको रेमेडीज बरोटीवाला की डरोटेवराइन हैड्रोक्लोराइड सस्पेंशन और मेडिपोल फार्मास्यूटिकल भुड्ड बद्दी की अल्प्राजोलम शामिल है।
ये दवाएं उच्च रक्तचाप, संक्रमण, गैस्ट्रिक, अनिद्रा आदि रोगों के उपचार में काम में आती हैं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल में दवा नियंत्रक प्राधिकरण बद्दी के मुख्य कार्यालय के अलावा सिरमौर के नाहन, कांगड़ा के धर्मशाला और मंडी में सब जोन बनाए हैं। बावजूद इसके दवाओं के सैंपल फेल होने का सिलसिला नहीं थम रहा है।