बतौर पार्टी कांग्रेस बहुत बुरे दौर से गुजर रही है. लोकसभा में हार के बाद अध्यक्ष पद का संकट और अब तीन राज्यों में कांग्रेस बिखरती हुई नजर आ रही है. कर्नाटक में कांग्रेस-और जेडीएस की सरकार 18 विधायकों के इस्तीफे के बाद भारी संकट में है. जाहिर है इसमें से अधिकतर विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. गोवा में कांग्रेस के 15 विधायकों में से 10 पार्टी से अलग हो कर बीजेपी के खेमे में आ चुके हैं. हालांकि वहां सरकार बीजेपी की है. तीसरा संकट तेलंगाना का है, जहां पहले ही कांग्रेस के 18 में से 12 एमएलए जून में पार्टी छोड़ चुके हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी बीजेपी पर कांग्रेस सरकार में सेंध लगाने की कोशिश के आरोप लग चुके हैं. जिससे मध्य प्रदेश में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस सहज नहीं है.
जिस तरह से बाकी राज्यों में कांग्रेस के विधायक उसका साथ छोड़ रहे हैं, अगर मध्य प्रदेश में भी कुछ इस तरह का हुआ तो कमलनाथ सरकार संकट में पड़ जाएगी. लोकसभा में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद से ही इस तरह की चर्चा थी कि राज्य में किसी भी वक्त कांग्रेस की सरकार गिर सकती है. जिसके बाद कमलनाथ ने विधायक दल की बैठक भी बुलाई थी.
पंजाब में भी कांग्रेस के अंदर गुटबाजी की खबरें पहले ही सामने आ चुकी हैं. नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच सबकुछ सही नहीं है. कैप्टन ने तो सार्वजनिक तौर पर यह तक कह दिया था कि सिद्धू उनकी जगह लेना चाहते हैं और सीएम बनना चाहते हैं. पंजाब की राजनीति में यह मामला काफी गरमा गया था. जहां सिद्धू कांग्रेस के स्टार नेता हैं वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी के सीनियर नेताओं में से एक हैं जिनका पंजाब में काफी प्रभाव है.
इस समय पंजाब, राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार है लेकिन तमाम सियासी गतिरोधों और केंद्र में नेतृत्व के अभाव की वजह से कांग्रेस सहज नहीं हो पा रही है. एक तरफ अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे से कांग्रेस उबर नहीं पाई थी और अब कर्नाटक और गोवा में भी उस पर गाज गिर गई. कर्नाटक गतिरोध पर तो आज 10 बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होगी.