हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यन एवं जस्टिस अनूप चितकारा की खंडपीठ ने आईआईटी मंडी में अनियमितता की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए आईआईटी के निदेशक, रजिस्ट्रार और बोर्ड ऑफ गवर्नर से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। आईआईटी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी एवं देवांग नाईक ने पिछले माह जनहित याचिका दायर की थी। इसमें यूनियन ऑफ इंडिया, ह्यूमन रिसोर्स मिनिस्ट्री सहित 11 अन्यों को पार्टी बनाया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देवेन कृष्णन खन्ना ने पक्ष रखा। दूसरी ओर से असिस्टेंट सॉलिस्टिर जनरल ऑफ इंडिया रमेश कुमार शर्मा, हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा व देवयानी शर्मा ने कोर्ट में आईआईटी मंडी का पक्ष रखा।खंडपीठ ने चार सप्ताह में जवाबतलब के अलावा उसके बाद अगले चार सप्ताह तक याचिका में उठाए सवालों का प्रति उत्तर देने को कहा है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाए हैं कि आईआईटी मंडी में भर्तियों, टेंडर और अन्य कार्यों में भारी अनियमितताएं हैं।
केंद्र सरकार के आदेशों के विपरीत नियम-कायदों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है। छोटे पदों पर इंटरव्यू कर चहेतों को भर्ती किया जा रहा है।आईआईटी के कैंपस में निजी स्कूल चलाने पर भी जांच की मांग की गई है। कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया है कि जिस तरह से जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, वह जांच का विषय है। जिसकी जांच की जाए।