राजधानी में कमला नगर की मांडवा बस्ती में 8 जून को नौ साल की बेबी (परिवर्तित नाम) से ज्यादती के बाद उसकी हत्या करने वाले आरोपी विष्णु भमौरे को विशेष न्यायाधीश कुमुदिनी पटेल ने फांसी की दो सजा सुनाईं। पहली सजा धारा 302 और दूसरी 376 (क, ख) में। विष्णु ने वारदात को अंजाम देकर बेबी का शव नाले में फेंक दिया था। पुलिस ने 17 जून को 40 गवाहों के बयानों से तैयार 108 पेज का चालान पेश किया था। एक दिन पहले कोर्ट ने विष्णु को दोषी मानते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार दोपहर यानी 32वें दिन कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई।
फांसी की सजा के ऐलान के बाद बेबी की मां और तीनों बहनें रोने लगीं। बोलीं- बेटी को इंसाफ मिल गया। ईश्वर का धन्यवाद…मैं तुम्हें फांसी की सजा दे रही हूं। समाज में ऐसे अपराध करने वालों को उनके किए की सजा मिलनी चाहिए। इतनी बड़ी घटना के बाद भी विष्णु के मन में आत्मग्लानि नहीं हुई और न ही कोई अफसोस। इस घटना का विरल से विरलतम कहा जा सकता है। मासूम से ज्यादती और उसकी बेरहमी से हत्या से साफ है कि विष्णु जैसा घिनौना व्यक्ति जीवन में कभी नहीं सुधर सकता। इससे ज्यादा क्रूरता और क्या हो सकती है कि गुड्डे-गुड़ियों के खेल में खिलौने से मन भर जाने पर कोई बच्चा जिस तरह खिलौने को एक तरफ फेंक देता है, ठीक वैसे ही विष्णु ने मासूम बच्ची से ज्यादती के बाद उसकी हत्या कर शव को गंदे नाले के चैंबर में फेंक दिया। जज कुमुदिनी की कोर्ट ने ही पिछले साल 24 दिसंबर को बेटी के दुष्कर्मी व हत्यारे पिता को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने 27 मई को हत्यारे की सजा 30 साल में बदल दी थी।
धारा 302 , 376 (क, ख) भादवि में मृत्युदंड, 377 भादवि में सश्रम आजीवन कारावास, 201 एवं 366 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास, 363 भादवि में 03 वर्ष का सश्रम कारावास। विशेष लोक अभियोजक मनीषा पटेल के मुताबिक ऐसे केस में अमूमन एक डीएनए रिपोर्ट से निष्कर्ष निकल आता है। बेबी के केस की गंभीरता को देखते हुए दो डीएनए टेस्ट कराए। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने भी बच्ची से हैवानियत की बात कही थी। दो डीएनए टेस्ट से इसकी पुष्टि हुई।
4 दिसंबर 2017 से प्रदेश में पॉक्सो कानून लागू है, तब से अब तक यहां 28 दरिंदों को निचली अदालतें फांसी की सजा सुना चुकी हैं, लेकिन इनकी फांसी ऊपरी अदालतों में अब तक लटकी हुई हैं…
अपराधी इतने दिन से लंबित स्टेटस
दिलीप बनकर 12 साल 11 माह सुप्रीम कोर्ट में लंबित
जितेंद्र उईके 7 माह 12 दिन अपील प्रक्रियाधीन
इमरान 9 माह 20 दिन अपील प्रक्रियाधीन
आसिफ 9 माह 20 दिन अपील प्रक्रियाधीन
वारिस खान 9 माह 20 दिन अपील प्रक्रियाधीन
जितेंद्र बागवान 6 साल 45 दिन सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन
देवेंद्र धुरंधरे 6 साल 45 दिन सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन
बाबू केतन बायले 6 साल 45 दिन सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन
शेष अपराधियों की सूची | पेज 12 पर
अपराधी इतने दिन से लंबित स्टेटस
अनोखीलाल 6 साल 96 दिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित
नवीन अजय 1 साल 29 दिन हाईकोर्ट इंदौर में लंबित
करण फतिया 1 साल 24 दिन हाईकोर्ट इंदौर में लंबित
मो. फिरोज खान 5 साल 7 माह सुप्रीम कोर्ट में लंबित
रविशंकर बाबा 2 साल 11 माह सुप्रीम कोर्ट में लंबित
भागवानी मरकाम 1 साल 7 माह सुप्रीम कोर्ट में लंबित
विनोद चौहथा 1 साल 3 माह सुप्रीम कोर्ट में लंबित
सर्वेश सेन 9 माह 21 दिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित
महेंद्र गोंड 8 माह 12 दिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित
श्याम सिंह 6 माह हाईकोर्ट में लंबित
आनंद कुशवाहा 5 माह 22 दिन हाईकोर्ट में लंबित
अकबर आजाद 4 माह 4 दिन हाईकोर्ट में लंबित
रामनाथ केवट 3 माह 5 दिन हाईकोर्ट में लंबित
परसराम कुशवाहा 7 साल 8 माह सुप्रीम कोर्ट में लंबित
वीरेंद्र बाथम 4 साल 5 माह सुप्रीम कोर्ट में लंबित
जितेंद्र कुशवाहा 10 माह 14 दिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित
नंंदकिशोर प्रसाद 9 माह 28 दिन हाईकोर्ट में लंबित
मनोज प्रजापति 1 माह 2 दिन अपील प्रक्रियाधीन
योगेश पांच दिन अपील की तैयारी
बेबी के अपराधी को सजा का मामला 2019 में ऐसा 7वां केस है। 2018 में ऐसे 21 मामलों में अपराधियों को फांसी की सजा हुई।