Home धर्म/ज्योतिष आज है देवशयनी एकादशी भूलकर भी न करें ये 6 काम…

आज है देवशयनी एकादशी भूलकर भी न करें ये 6 काम…

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हिंदू धर्म में बताए गए सभी व्रतों में आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उनके सभी पापों का नाश होता है. इस वर्ष देवशनी एकादशी 12 जुलाई 2019 के दिन मनाई जाएगी. देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं.मान्यता के अनुसार इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहते है.

पूजा का शुभ मुहूर्त –

इस साल हरिशयनी एकादशी 11 जुलाई को रात 3:08 से 12 जुलाई रात 1:55 मिनट तक रहने वाली है. प्रदोष काल शाम साढ़े पांच से साढे सात बजे तक रहेगा. माना जाता है कि इस दौरान की गई आरती, दान पुण्य का विशेष लाभ भक्तों को मिलता है. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान को नए वस्त्र पहनाकर, नए बिस्तर पर सुलाएं क्योंकि इस दिन के बाद भगवान सोने के लिए चले जाते हैं.

देवशयनी एकादशी व्रत के दौरान बरतें ये सावधानी-

1 देवशयनी एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठने का प्रयास अवश्य करें.

2 घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं और ना ही खरीद कर लाएं

3 एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़ों का ही प्रयोग करें, हो सके तो काले नीले वस्त्र प्रयोग न करें.

4 देवशयनी एकादशी के व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल रखें.

5 सभी प्रकार की शुद्ध और साफ पूजा पाठ की सामग्री ही प्रयोग में लाएं

6 पूजा में पीले फल और फूल अवश्य प्रयोग करें 

घर मे सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए ऐसे करें देवशयनी एकादशी पर पूजा-

1 देवशयनी एकादशी पर एक गमले में सुबह के समय छोटा केले का पौधा लगाएं.

2 घर की उत्तर पूर्व दिशा में केले के पौधे को रख कर रोली-मोली, पीले फल-फूल, केसर, धूप, दीप आदि से पूजा-अर्चना करें.

3 एक शुद्ध आसन पर बैठकर गाय के घी का दीपक हल्दी का स्वस्तिक बनाकर उस पर रखकर जलाएं.

4 देवशयनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें तथा परिवार के सदस्यों को भी सुनाएं. भगवान कृष्ण के 108 नामों का जाप करें.

5 शाम के समय केले के पौधे के नीचे फिर से गाय के घी का दिया जलाएं. इसके बाद अपने मन की इच्छा भगवान विष्णु के सामने कहे.

6 अब यह केले का पौधा किसी भी विष्णु मन्दिर या भगवान कृष्ण के मंदिर में रखकर आएं.

देवशयन के चातुर्मासीय व्रतों में पलंग पर सोना, भार्या का संग करना, झूठ बोलना, मांस, शहद, मूली, पटोल एवं बैगन आदि का सेवन वर्जित माना जाता है.

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