पिछली सरकारों के कार्यकाल में मुख्यमंत्री राहत कोष का लेखाजोखा ठीक से नहीं रखा गया। चार साल में मुख्यमंत्री राहत कोष में करीब सवा पांच लाख रुपये कहां से आए, इसका सुराग ही नहीं लग पा रहा है। यह अभी रहस्य ही बना हुआ है। यह खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। इससे पहले के वर्षों की लेखा परीक्षा में भी ऐसे ही कई मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में स्थानीय लेखा विभाग के उपनिदेशक ने इस बारे में अपनी लेखा रिपोर्ट को उच्च अधिकारियों के ध्यान में लाया है। इसकी जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग को भी दी गई है।