Home मध्य प्रदेश MP में कांग्रेस ने डिनर डिप्लोमेसी के जरिए दिखाई ताकत…

MP में कांग्रेस ने डिनर डिप्लोमेसी के जरिए दिखाई ताकत…

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कर्नाटक और गोवा संकट के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने गुरुवार शाम सरकार की ताकत दिखाई और डिनर डिप्लोमेसी के बहाने शक्ति प्रदर्शन दिखाया. दरअसल गुरुवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के बंगले पर डिनर का आयोजन किया गया जिसमें सभी विधायक शामिल हुए. इस डिनर में मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पहुंचे.

इनके अलावा सरकार को समर्थन दे रहे बीसपी, एसपी और निर्दलीय विधायक भी डिनर में शामिल हुए. डिनर में दिग्विजय सिंह पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को भी निमंत्रण भेजा गया था लेकिन मध्यप्रदेश से बाहर होने के कारण दोनों डिनर में शामिल नहीं हुए.

डिनर में शामिल होने आए कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने बीजेपी को चेताया कि वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने न देखे. मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सभी विधायक एकजुट हैं और निर्दलीय विधायकों का भी पूरा समर्थन कमलनाथ सरकार के साथ है. वहीं निर्दलीय कोटे से मंत्री प्रदीप जायसवाल ने भी कहा कि मध्य प्रदेश की स्थिति कर्नाटक और गोवा जैसी नहीं है और इसलिए यहां पर कमलनाथ सरकार पर कोई संकट नहीं है.

हालांकि कमलनाथ सरकार में मंत्री कमलेश्वर पटेल और जीतू पटवारी ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रियों और विधायकों का डिनर कोई नई बात नहीं है, यह पुरानी परंपरा है. कोई न कोई मंत्री हर बार विधानसभा के सत्र के दौरान भोपाल में साथ ही मंत्रियों विधायकों के लिए डिनर का आयोजन करता है. वहीं प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि इस डिनर में कांग्रेस एसपी-बीएसपी और निर्दलीय मिलाकर सभी 121 विधायक शामिल हुए. पंकज चतुर्वेदी के मुताबिक डिनर का यह कार्यक्रम कर्नाटक और गोवा में घटे घटनाक्रम से काफी पहले ही तय कर लिया गया था ऐसे में इसे सियासी घटना से जोड़ना गलत होगा.

डिनर में आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ये बहुत अच्छा मौका है चर्चा करने के लिए, मिलने के लिए और आगे की सोच और विचारधारा पर बात करने के लिए. सिंधिया ने कहा कि जो एक जनता की सरकार की विचारधारा होनी चाहिए उसको भी हम तय करेंगे. वहीं डिनर के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज हम डिनर पर साथ बैठे हैं. आठ दिन पहले हम लंच पर भी साथ बैठे थे. गोवा और कर्नाटक से मध्यप्रदेश की तुलना मत कीजिए. वहां गठबंधन की सरकार थी.’

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