Home हिमाचल प्रदेश ग्रामीण क्षेत्रों में इंजीनियरों की सलाह के बिना बने हैं…

ग्रामीण क्षेत्रों में इंजीनियरों की सलाह के बिना बने हैं…

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हिमाचल के असुरक्षित भवनों में लोगों की जानें सुरक्षित नहीं हैं। जब तक भवन खंडहर न बन जाएं या फिर भवन में आग न लग जाए तब तक लोगों को नए भवन बनाने की अनुमति नहीं दी जाती है। हिमाचल में अब तक ओल्ड लाइन में जितने भी पुराने भवनों की अनुमति दी गई है वह या तो जल गई हैं या फिर खंडहर हो गई हैं। कुछ साल पहले कैग ने हिमाचल के भवनों पर अध्ययन किया है।

इसमें शिमला शहर के 300 भवनों को लिया गया। इसमें से 83 फीसदी भवन यानी 249 भवन भूकंप नजरिये से अनसेफ पाए गए हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 90 फीसदी ऐसे भवन हैं जो इंजीनियरों की सलाह से नहीं बने हैं। कैग ने वर्ष 2017 में इस रिपोर्ट को हिमाचल विधानसभा के पटल पर रखा था। जिला सोलन में जो भवन गिरा है, वह भी ग्रामीण क्षेत्रों में आता है।

कैग के अध्ययन के मुताबिक हिमाचल में भवनों की संख्या 15 लाख है। इनमें शहरों में 1 लाख 66 हजार और 13 लाख से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। ग्रामीण क्षेत्र में लोग अपनी मर्जी से भवनों का निर्माण कर देते हैं। इंजीनियरों का मानना है कि जमीन देखकर भवनों का निर्माण होता है। पिलरों को कितना सरिया डाला जाना है और सीमेंट की क्या रेश्यो रखना है, बस इसी का आकलन किया जाता है। इसके लिए अन्य तमाम जरूरी शर्तों का कोई ध्यान नहीं रखा जाता।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिला से अधिक भवनों पर रोक लगाई है। प्लानिंग एरिया में बेतरतीब भवनों का निर्माण हुआ है। शिमला का पहाड़ी इलाका ज्यादा भार सहन नहीं सकता है। प्रदेश सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है, लेकिन कोर्ट से अभी राहत नहीं मिली है। जानकारों का मानना है कि शिमला की तरह पूरे प्रदेश में भवन निर्माण पर सख्ती होनी चाहिए।

बरसात के चलते टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने शहरों और प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण पर रोक लगाई है। टीसीपी से जिन भवनों के नक्शे पास हुए हैं, बाकायदा उन्हें नोटिस जारी कर भवन का काम शुरू न करने की सलाह दी गई है। बरसात के चलते जमीन खिसकने की आशंका रहती है।

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