भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. राज्यपाल की नियुक्ति को लेकर राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर दिया है. पद संभालने के बाद इनकी नियुक्ति प्रभावी हो जाएगी. कलराज मिश्र ने इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था. कलराज मिश्र ने कहा था, ”मैं इस बार चुनाव नहीं लड़ूंगा. मुझे कई दूसरी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है इसलिए मेरा समय उसमें लगेगा.”
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े नेताओं में शुमार किए जाने वाले कलराज मिश्रा 2014 में लोकसभा में पहली बार पहुंचे. पूर्वांचल से संसद पहुंचे कलराज की छवि प्रभावी ब्राह्मण नेता की रही है. वह रक्षा मामले से जुड़ी स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य भी रहे हैं. 77 साल के इस सांसद ने पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की है. वह बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए हैं.
वह तीन बार राज्यसभा (1978, 2001 और 2006) में रहे. वह मार्च, 1997 से अगस्त, 2000 तक उत्तर प्रदेश सरकार में भी मंत्री रहे हैं. कलराज मिश्रा गाजीपुर के मलिकपुर में एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता रामज्ञा मिश्रा एक अध्यापक रहे हैं. 1941 में गाजीपुर में पैदा होने वाले कलराज ने वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से एमए की डिग्री हासिल की है. वह पेशे से किसान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है.
लोकसभा में जहां उनकी उपस्थिति का सवाल है तो उनकी उपस्थिति 95 फीसदी रही है. जबकि इस मामले में वह राष्ट्रीय औसत (80 फीसदी) और राज्य औसत (87 फीसदी) से अधिक है. वह केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद मंत्री बने और 3 सितंबर, 2017 तक लघु, कुटीर और मध्यम उपक्रम मंत्रालय में मंत्री रहे. संसद में सितंबर, 2017 तक मंत्री रहने के दौरान वह सवाल नहीं पूछ सकते थे. लेकिन, इसके बाद सांसद के रूप में उन्होंने कोई सवाल नहीं पूछे. लेकिन इस दौरान उन्होंने महज एक बहस में हिस्सा लिया है. वहीं प्राइवेट मेंबर्स बिल भी पेश नहीं किया.