आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, अतः इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है कि गुरु का स्थान सर्वश्रेष्ठ होता है. गुरु भगवान से भी ऊपर होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वो गुरु ही होता है जो व्यक्ति को अज्ञानता के अंधकार से उबारकर सही रास्ता दिखाता है. इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष योग बन रहे हैं. इस बार गुरु पूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है. यह ग्रहण कुल 2 घंटे 59 मिनट तक रहने वाला है. ऐसे में आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा का क्या है शुभ मुहूर्त.
गुरु पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त-
गुरु पूर्णिका की तिथि: 16 जुलाई 2019
गुरु पूर्णिमा प्रारंभ: 15 जुलाई 2019 को रात 01 बजकर 48 मिनट से
गुरु पूर्णिमा तिथि सामप्त: 16 जुलाई 2019 की रात 03 बजकर 07 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा का महत्व-
गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. गुरु की दी गई शिक्षा के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं. बताया गया है कि इस दिन गुरुजनों की यथा संभव सेवा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं.
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि-
1 गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं.
2 उनके चरण जल से धुलाएं और पोंछे.
3 फिर उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें .
4 इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें.
5 यथाशक्ति फल,मिष्ठान्न दक्षिणा अर्पित करें.
6 गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें.
ग्रहण और सूतक काल का समय-
शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक समय ग्रहण से नौ घंटे पहले ही शुरू हो जाता है. जिसके अनुसार 16 जुलाई को सूतक शाम 4 बजकर 31 मिनट से ही शुरू हो जाएगा. ऐसे में सूतक काल शुरू होने से पहले गुरु पूर्णिमा की पूजा विधिवत् कर लें. सूतक काल के दौरान पूजा नहीं की जाती है. सूतक काल लगते ही मंदिरों के कपाट भी बंद हो जाएंगे.
ग्रहण काल आरंभ: 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट
ग्रहण काल का मध्य: 17 जुलाई की सुबह 3 बजकर 1 मिनट
ग्रहण का मोक्ष यानी कि समापन: 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट