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SC में कर्नाटक संकट: मुझे MLA रहने के लिए कोई मजबूर नहीं कर सकता..

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सियासी उठापटक के बीच कर्नाटक के बागी विधायकों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. बागी विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष दोनों की अर्जी आज सुनी जाएगी. बता दें कि पहले 10 विधायकों ने अपना इस्तीफा मंजूर करने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बाद में 5 और विधायक यही अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे. आज सभी 15 विधायकों की अर्जी साथ सुनी जाएगी. वहीं, स्पीकर ने इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से वक्त देने की मांग की है. शुक्रवार को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आज तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, यानी कोर्ट के अगले आदेश तक स्पीकर न तो विधायकों के इस्तीफे पर और न ही उन्हें अयोग्य ठहराने पर कोई फैसला ले सकते हैं. वहीं, बीजेपी की कर्नाटक इकाई के प्रमुख बी एस येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा था कि उन्हें अगले चार-पांच दिन में सरकार बनाने का पूरा भरोसा है. येदियुरप्पा का दावा ऐसे वक्त आया था है जब विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी द्वारा दिये गए विश्वास मत के प्रस्ताव पर 18 जुलाई को चर्चा का वक्त दिया है.

अभिषेक मनु सिंघवी- रोहतगी ने जो कहा उसमें तथ्यात्मक गलतियां हैं. स्पीकर को जो इस्तीफे दिए गए वो वैध नहीं थे. जो भी तारीख आदि इस्तीफे या अयोग्यता के लिए बताए जा रहे हैं वो सही नहीं हैं. स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील शुरू की. मुकुल रोहतगी- स्पीकर का कार्य न्यायिक परीक्षण से बाहर नहीं है. सिर्फ सदन की कार्रवाई पर छूट है. रोहतगी ने अपने मामले में मध्यप्रदेश, केरल और गोवा के मामलों में सम्बन्धित हाईकोर्ट के फैसले और व्यवस्था का जिक्र किया.

मुकुल रोहतगी- येदियुरप्पा को 15 दिन टाइम दिया था और इस मामले में 3 दिन में स्पीकर ने शक्तिपरीक्षण का फैसला कर लिया. क्योंकि उनको शक था सरकार के गिरने का.  स्पीकर को असीमित इम्युनिटी नहीं है कि प्रोसीजर को तोड़ मरोड़ कर मनमानी कर सकें. स्पीकर के पास लिमिटेड इम्युनिटी है. मुकुल रोहतगी – विधायक कोई सरकारी कर्मचारी या नौकरशाह नहीं हैं जो इस्तीफे का कारण लिखना पड़े चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ने पूछा, क्या हम स्पीकर को आदेश जारी कर सकते हैं

मुकुल- कोर्ट स्पीकर को एक टाइम फ्रेम में फैसला लेने का आदेश जारी कर सकता है. जैसे पिछले साल मई में कांग्रेस की याचिका पर कर्नाटक में राज्यपाल को 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश दिए गए थे. मुकुल रोहतगी – स्पीकर किसी इस्तीफे की सत्यता पर सिर्फ इसलिए सवाल नहीं उठा सकते क्योंकि उन्होंने अयोग्यता की कार्रवाई शुरु की है मुकुल रोहतगी- केरल हाईकोर्ट ने एक विधायक के मामले में कहा था कि तुरंत इस्तीफा स्वीकार किया जाना चाहिए.

CJI रंजन गोगोई बोले- हम इस बात पर विचार नहीं कर सकते कि स्पीकर इस्तीफे या अयोग्यता पर कैसे फैसला दें? हम यह विचार कर रहे हैं कि स्पीकर पहले किस पर फैसला करें, इस्तीफे पर या अयोग्यता पर. मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि अयोग्य के लिए वैध आधार नहीं है. यह दिखाने के लिए कुछ नहीं है कि विधायकों ने बीजेपी से मिलकर साजिश रची. – मुकुल रोहतगी स्पीकर अपनी मनमानी से इस्तीफे मंजूर करने के बजाय हमें अयोग्य ठहराने पर आमादा हैं. – मुकुल रोहतगी

अयोग्य ठहराए जाने के बाद जब तक फिर से चुन कर विधायक नहीं बन जाता तब तक किसी भी सरकार में मंत्री नहीं बन सकता. 6 महीने के भीतर उपचुनाव में दोबारा चुनकर आने के बाद ही अयोग्य ठहराया हुआ विधायक मंत्री बन सकता है- बागी विधायकों की ओर से मुकुल रोहतगी जब तक स्पीकर के पास कोई ठोस तथ्य ना हो, जांच नहीं हो सकती. इस मामले में किसी जांच की आवश्यकता नहीं है. – मुकुल रोहतगी

स्पीकर इस्तीफा मंजूर ना करके मुझे विधानसभा सदस्य बने रहने पर विवश कर रहे हैं. वह मेरे अधिकारों का हनन कर रहे हैं. अगर स्पीकर मंजूर ना भी करें तो हमारे इस्तीफे स्वीकार माने जाएं. –  बागी विधायकों की ओर से मुकुल रोहतगी CJI  ने मुकुल रोहतगी से पूछा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए क्या आधार दिए गए है? मुकुल ने कहा कि आपकी पार्टी का विधायक आपके साथ नहीं, दूसरी पार्टी के साथ खड़ा हो जाता है तो आपको समझना चाहिए कि अब वो आपके साथ नहीं है क्या विधायकों की कनपटी पर गन रखकर इस्तीफा लेने के सबूत हैं? वो स्पीकर से मिले, मीडिया के सामने आए और क्या जांच चाहिए? – मुकुल रोहतगी

आनन्द सिंह ने 1 जुलाई को और बाकी ने 6 जुलाई को इस्तीफा दिया. अयोग्य ठहराने पर पहले मिनी ट्रायल होता है. लेकिन हमारे मामले में स्पीकर अपनी शर्तों और तरीके से कार्रवाई करना चाहते हैं. – मुकुल रोहतगी इस्तीफे और अयोग्यता तो मिक्स नहीं किया जा सकता. अगर मैं विधानसभा में नहीं रहना चाहता तो मुझे मजबूर नहीं किया जा सकता- मुकुल रोहतगी

बागी विधायकों के तरफ से मुकुल रोहतगी बोले- ‘मैं विधायक नहीं बने रहना चाह सकता. कोई मुझे मजबूर नहीं कर सकता. मेरा इस्तीफा मंजूर करना होगा. कोर्ट को मुकुल रोहतगी ने साथ ही बताया कि 10 जुलाई को स्पीकर ने उनको मिलने को बुलाया. 11 जुलाई को उनकी स्पीकर से मीटिंग हुई. फिर से उन्होंने इस्तीफा स्पीकर को दिया. संविधान के अनुच्छेद 190 के तहत स्पीकर का कार्य वह नहीं है. अयोग्यता लंबित होने पर इस्तीफा मंजूर करने पर कोई रोक नहीं है. सीजेआई रंजन गोगोई ने रोहतगी से पूछा कि 10 बागी विधायकों ने इस्तीफा कब दिया? रोहतगी ने कहा कि 6 जुलाई को दिया था. 10 में से केवल दो के खिलाफ अयोग्य का मामला लंबित है.

दस बागी विधायकों की ओर से मुकुल रोहतगी बहस कर रहे हैं. रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि पांच और विधायकों ने इस्तीफा दिया है, लेकिन स्पीकर उन्हें भी मंजूर नहीं कर रहे हैं. अयोग्यता की कार्रवाई सर्वथा अनुचित है बागी विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू बता दें कि पहले 10 विधायकों ने अपना इस्तीफा मंजूर करने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बाद में 5 और विधायक यही अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे. आज सभी 15 विधायकों की अर्जी साथ सुनी जाएगी.  सियासी उठापटक के बीच कर्नाटक के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. बागी विधायकों और विधानसभा अध्यक्ष दोनों की अर्जी आज सुनी जाएगी.

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