पूरे शहर में करीब साढ़े सात हजार गुमठियां हैं और इनमें से एक भी वैध नहीं है। यह गुमठियां दो हजार रुपए से पांच हजार रुपए तक के किराए पर मिल जाती हैं। यदि औसत तीन हजार रुपए मासिक किराया भी माना जाए तो महीने भर में सवा दो करोड़ रुपए की अवैध वसूली हो रही है। अकेला एमपी नगर नहीं बल्कि शहर के अमूमन हर बाजार और मैन रोड पर गुमठियों का कब्जा है।
दो साल पहले महापौर आलोक शर्मा ने परिषद में हॉकर्स नीति पेश की थी। इसमें हर वार्ड में एक हॉकर्स कॉर्नर बनाने की बात थी। इसके लिए बजट में राशि रखी गई, लेकिन हॉकर्स कॉर्नर नहीं बने। राजनीतिक दलों के नेता गुमठियों के संरक्षक बने हुए हैं। कोई सबूत भले न हों लेकिन पर्दे के पीछे की सच्चाई यह है कि नेताओं और नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के आर्थिक हित जुड़े होने के कारण इन पर अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है। एमपी नगर से गुमठियों का अतिक्रमण हटाने को लेकर पूर्व विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह के खिलाफ प्रशासन और पुलिस के कड़े रूख के बाद बने माहौल को यदि बरकरार रखा जाए तो भोपाल गुमठी मुक्त हो सकता है। एक दिन पहले मम्मा की धमकी के बाद शुक्रवार को निगमायुक्त बी विजय दत्ता और डीआईजी इरशाद वली अतिक्रमण अमले का हौसला बढ़ाने के लिए उनके साथ मैदान में उतरे।
डीआईजी और निगमायुक्त की मौजूदगी में शुक्रवार को एमपी नगर जोन-2 से अतिक्रमण हटाया गया। इस दौरान एमपी नगर के भीतर स्थित स्मार्ट पार्किंग के पास की करीब 15 गुमठियों को अतिक्रमण अमले ने जब्त कर लिया गया। दोनों अफसरों के निर्देश पर सड़क पर खड़े वाहनों की भी जब्ती की गई। कार्रवाई के दौरान निगम के हेल्थ अॉफिसर कमर साकिब, अतिक्रमण प्रभारी समीर खान और महेश गौहर तीनों मौजूद थे। पू्र्व विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह ने गुरुवार को साकिब को फोन पर धमकी दी थी। इस मामले में समीर और महेश गौहर ने एफआईआर दर्ज कराई थी। करीब तीन बजे तक चली कार्रवाई में 15 गुमठियां और ठेले जब्त किए गए।
अतिक्रमण हटाने की मुहिम के पीछे छिपी त्रासदी का निदान निकालें पूर्व विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर अतिक्रमण हटाने की मुहिम के पीछे छिपी त्रासदी का निदान निकालने की अपील की। उन्होंने कहा कि मैं बिल्क्ुल भी अतिक्रमण का समर्थक नहीं हूं। ना ही मैं सड़क पर हर कहीं गुमठी- ठेले लगाने का समर्थन करता हूं। मेरा आग्रह यह रहा है कि इन बहुत छोटे स्तर के लोगों को हटाने के पहले उनके उचित पुनर्वास का प्रबंध किया जाए। मैंने अपनी पार्टी की सरकार के रहते हुए भी हबीबगंज नाका क्षेत्र में अतिक्रमण हटाए जाने का इसी आधार पर पुरजोर विरोध किया था।
नगर निगम कमिश्नर बी विजय दत्ता ने कहा कि मैं निगमकर्मियों के साथ हूं। हमने एमपी नगर सहित शहर के अन्य इलाकों में अतिक्रमण हटाने की मुिहम शुरू की है। गुमठियां हटानेे के साथ ही इनके व्यवस्थापन की भी योजना बना रहे हैं। हमारा उद्देश्य शहर को खूबसूरत, स्वच्छ और व्यवस्थित बनाना है। इसमें सभी के सहयोग की जरूरत है। डीआईजी इरशाद वली ने कहा कि हम इस मुहीम में नगर निगम का सहयोग कर रहे हैं।
नगर निगम ने पिछले दिनों एमपी नगर जोन-1 से करीब 500 गुमठियां हटाईं हैं। गुमठियां हटाने से खाली हुए इन स्थानों पर नगर निगम पौधरोपण करेगा। कुछ स्थानों पर छोटे पार्क विकसित होंगे और कुछ स्थानों पर पार्किंग भी बनाई जाएगी।
शहर में लंबे समय बाद गुमठियां हटाने की कार्रवाई शुरू हुई है, आप इसका समर्थन क्यों नहीं करते मैं अतिक्रमण का समर्थक नहीं हूं। पुनर्वास होना चाहिए। नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी पुनर्वास के बाद ही अतिक्रमण हटाने की बात कही थी। लेकिन कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की जिद की वजह से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गुमठियां हटाने को कहा है। निगम परिषद भाजपा की है। आखिर पुनर्वास की जिम्मेदारी तो निगम की है। आप महापौर से चर्चा क्यों नहीं करते? कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कमिश्नर ही निगम चला रहे हैं। महापौर ने हॉकर्स नीति बनाई लेकिन निगम के अफसरों ने उसे क्रियान्वित नहीं होने दिया।
विधायक आरिफ मसूद के समर्थकों ने एमपी नगर थाने के सामने प्रदर्शन कर थाना प्रभारी को आवेदन सौंप कर सुरेंद्रनाथ सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज करने की मांग की। मसूद ने मीडिया से चर्चा में कहा ‘ जो चौथ वसूली कर रहे हैं, उन्हें ही आंदोलन की जरूरत पड़ रही होगी। जाहिर है जब पैसा जाता दिख रहा है तो कुछ न कुछ तो करेंगे।