आख़िरकार सोनभद्र के पीड़ित परिवार से प्रियंका गांधी ने चुनार किले के गेस्ट हाउस में मुलाक़ात कर ली है. पीड़ित परिवार चुनार गेस्ट हाउस पहुंचा था लेकिन पहले प्रियंका को वहां रोक दिया गया. प्रियंका धरने पर बैठ गईं. जिसके बाद में वे कुछ पीड़ित परिवार की महिलाओं से मिलीं. प्रियंका ने बताया कि पीड़ितों के 2 रिश्तेदारों से मुलाकात की है. लेकिन 15 को मिलने की इजाजत नहीं दी जा रही है. यहां तक कि मुझे भी मिलने नहीं दिया जा रहा है.
भगवान ही जानता है कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है. इस बीच प्रियंका गांधी को हिरासत में लिए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता आज उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से मिले. प्रमोद तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस के कई नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को शनिवार को यहां हवाईअड्डे पर हिरासत में ले लिया गया. पार्टी सांसद डेरेक ओब्रायन ने यह जानकारी दी. तृणमूल कांग्रेस के इस प्रतिनिधिमंडल में ओब्रायन, सांसद एवं प्रतिनिधिमंडल के नेता सुनील मंडल और सांसद अबीर रंजन बिश्वास शामिल थे. तृणमूल की इस टीम को हिरासत में लेने से एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को भी हिरासत में लिया गया था और उन्हें सोनभद्र घटना के घायलों एवं मृतक के परिवारों से मिलने सोनभद्र जाने के दौरान मिर्जापुर जिले में रोक दिया गया था.
ओब्रायन ने ट्वीट किया, “तृणमूल संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को वाराणसी हवाईअड्डे पर हिरासत में ले लिया गया. एडीएम, एसपी ने हमें नहीं बताया कि किस धारा के तहत यह किया गया. हमने उनसे कहा कि हम सहयोग करेंगे, हम पहले घायलों से मुलाकात करेंगे और फिर सोनभद्र के लिए रवाना होंगे जहां शोकसंतप्त परिवारों से मुलाकात कर उन्हें ढाढस बंधाएंगे.
उन्होंने कहा, “पुलिस ने हमें वाराणसी हवाईअड्डे पर रोक लिया जब हम पीड़ितों से मिलने सोनभद्र जा रहे थे. धारा 144 का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है क्योंकि हमारी संख्या कम है.” ओब्रायन ने बताया कि यह प्रतिनिधिमंडल यहां अस्पताल में भर्ती घायलों से मिलने वाराणसी पहुंचा था और फिर वह शोकसंतप्त परिवारों से मिलने के लिए सोनभद्र जाने वाला था. तृणमूल प्रतिनिधिमंडल सोनभद्र के दौरे के बाद शाम की उड़ान से लौटने वाला था. पार्टी ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि उसके सांसदों की एक टीम उत्तर प्रदेश के सोनभद्र संघर्ष के पीड़ितों के परिवार से शनिवार को मुलाकात करने जाएगी. लोकसभा चुनाव के बाद से तृणमूल और भाजपा के बीच बढ़ी राजनीतिक हिंसा के चलते यह फैसला अहम माना जा रहा था