शाहपुरा स्थित लाइफ लाइन हॉस्पिटल में महिला के जीवित नवजात को मृत बताने का मामला सामने आया है। वहीं नवजात के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर डिलीवरी और जन्में बच्चों की मेडिकल केयर में लापरवाही का आरोप लगाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। बगरौदा (सिरोंज) निवासी राजकुमार रघुवंशी ने बताया कि उनकी भाभी ललिता पत्नी प्रहलाद रघुवंशी को साढ़े पांच माह का गर्भ था। गुरुवार रात करीब 9 बजे उनके पेट में तेज दर्द हुआ। इस पर रात करीब 12 बजे उन्हें शाहपुरा स्थित लाइफ लाइन हॉस्पिटल में भर्ती कराया, क्योंकि प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही वे यहां इलाज करा रहीं थीं।
शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे प्री-मैच्योर डिलीवरी हुई। डॉक्टर्स ने डिलीवरी के बाद दो मृत बच्चों के जन्म की जानकारी देकर मरीज को वार्ड में शिफ्ट कर दिया। लेकिन, शव नहीं दिए। पूछने पर केवल कागजी कार्रवाई के बाद 11 बजे शव सोंपने की बात कही। रघुवंशी ने बताया कि डॉक्टर्स डिलीवरी के बाद अगर दोनों नवजातों की जांच सही से करते तो संभव है 11 बजे जीवित मिला बच्चा जिंदा होता। उन्होंने डॉक्टर्स पर नवजात बच्चे की मेडिकल जांच में लापरवाही का आरोप लगाया है। रघुवंशी का तर्क है कि नवजात को सुबह जन्म होने के बाद से 11 बजे तक कोई इलाज नहीं मिला, जिसके चलते उसकी मौत हो गई।
राजकुमार ने बताया कि शुक्रवार सुबह 11 बजे बच्चों के शव लेने पहुंचे, तब एक नवजात के शरीर में हरकत हो रही थी। इसकी सूचना ड्यूटी नर्स को दी, जिसने डॉक्टर्स को बुलाकर बच्चे को शिशु रोग यूनिट में शिफ्ट कर दिया। संस्थान द्वारा डेथ सर्टिफिकेट की फाइल वापस ले ली। इसके छह घंटे बाद शाम 5 बजे नवजात की मौत हो गई।
राजकुमार के मुताबिक ललिता और प्रहलाद की शादी 26 साल पहले हुई थी। लेकिन, उन्हें कोई औलाद नहीं हुई तो उन्होंने दो-तीन साल पहले लाइफ लाइन में इलाज शुरू किया था। यहां आईवीएस से ललिता गर्भवती हुईं, उनके पेट में दो जुड़वा बच्चे थे। लेकिन, ये खुशियां आने से पहले ही बिखर गईं। प्रहलाद के छोटे भाई राजकुमार की बेटी भी आईवीएफ से ही हुई है।