मध्य प्रदेश में सिंथेटिक दूध और अन्य दूध उत्पाद तैयार करने वालों की अब खैर नहीं है. सरकार ने इस काले कारोबार से जुड़े लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई करने का फैसला लिया है. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यूरिया जैसे घातक पदार्थ मिलाकर सिंथेटिक दूध और उससे मावा, पनीर व अन्य उत्पाद बनाने और बेचने वालों के खिलाफ रासुका के तहत सख्त कार्रवाई की जाए.
मंत्री ने विभागीय अधिकारियों की बैठक में कहा, ‘सिंथेटिक दूध और इससे बने अन्य दुग्ध उत्पाद आमजन के स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक हैं. मिलावटखोरों को आम आदमी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं करने देंगे. राज्य और जिला स्तर पर इस तरह की घातक गतिविधियां संचालित करने वालों की धरपकड़ के लिए उड़नदस्ता बनाकर कार्रवाई की जाएगी.’
सिलावट ने कहा कि सभी संभागीय कमिश्नर, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से भी ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध रासुका जैसे सख्त कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए कहा गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि कार्रवाई में जिम्मेदारी न निभाने वाले अधिकारियों पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.
पिछले दिनों ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंथेटिक दूध से बने उत्पाद बेचे जाने का मामला सामने आया था. उसके बाद से सरकार सख्त रवैया अपनाए हुई है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा था कि जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सिंथेटिक दूध व मावा के अवैध व्यापार से जुड़े लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. ऐसे लोग समाज व मानवता के दुश्मन हैं, इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलना चाहिए.