उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के घोरावल तहसील के उम्भा गांव में गत 17 जुलाई को जिस विवादित भूमि पर कब्जे को लेकर भीषण हिंसा हुई थी उस भूमि के 1955 के राजस्व रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं. अपर ज़िलाधिकारी योगेन्द्र बहादुर सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए मंगलवार को बताया कि रिकार्ड जिस समय का है, उस समय सोनभद्र मिर्जापुर जिले का हिस्सा था और एक निर्धारित अवधि के बाद कुछ रिकार्ड नियमानुसार नष्ट कर दिए जाते हैं.
ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उनके रखने के लिए स्थान की समस्या हो जाती है. उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में हालांकि रिकार्ड नष्ट नहीं भी किए जाते हैं लेकिन उभ्भा गांव की उक्त विवादित भूमि से संबंधित 1955 के रिकार्ड नष्ट किए जा चुके हैं. हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपर मुख्य सचिव (राजस्व) के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था, जिसे दस दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था. ग्राम प्रधान और उसके समर्थकों द्वारा घोरावल में 90 बीघा विवादित जमीन पर कब्जे को लेकर हुए खूनी संघर्ष में दस लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 28 अन्य घायल हो गये थे. मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि भूमि विवाद पुराना है और 1955 से चला आ रहा है. राजस्व अदालतों में कई मामले चल रहे हैं. दोनों ही पक्षों ने आपराधिक मामले भी दर्ज कराये हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी ने बताया कि 1955 से 1989 के बीच कांग्रेस शासनकाल में भूमि को अवैध रूप से आदर्श सोसाइटी के नाम हस्तांतरित कर दिया गया था. पूरी घटना के लिए योगी ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. एडीएम ने कहा कि मूर्तिया का ग्राम प्रधान यज्ञदत्त दस लोगों की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी है. उसने अपने मकान के सामने भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा था, जिसे जिला प्रशासन ने हटवा दिया. जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने मूर्तिया में हुए सभी विकास कार्यों की जांच का आदेश पहले ही दे रखा है.