अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता वाले बयान की हर ओर चर्चा हो रही है. भारत ने ट्रंप के बयान को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. ट्रंप के बयान पर अब अमेरिका के पूर्व राजनयिकों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प के इस बयान से भारत-अमेरिका संबंधों को ‘नुकसान’ पहुंच सकता है. कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर उनसे मध्यस्थता करने के लिए कहा थ
भारत में रहे अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ने आज बहुत बड़ा नुकसान किया है. कश्मीर और अफगानिस्तान पर उनकी टिप्पणी समझ से परे है.’’ वहीं, विदेश मंत्रालय की पूर्व राजनयिक एलिसा आयरेस, जो अब काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशंस थिंक टैंक के साथ हैं, ने कहा कि ट्रम्प बैठक के लिए तैयारी करके नहीं आए थे.
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी के अनुसार, राष्ट्रपति को जल्द ही दक्षिण एशियाई मुद्दों की जटिलता समझ आएगी. उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रम्प अफगानिस्तान समझौते में पाकिस्तान की मदद चाहते हैं, उनके अनुसार पाकिस्तान जो चाहता है उसने सभी संभावनाओं को खतरे में डाल दिया है.’’
हुसैन हक्कानी ने कहा, ‘‘उन्होंने इमरान खान की प्रशंसा की जैसे उन्होंने उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन की प्रशंसा की. यह करार करने की कोशिश में उनकी मानक प्रक्रिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से वह कोरियाई प्रायद्वीप में कोई समझौता नहीं कर सके, उन्हें जल्द ही पता चलेगा कि दक्षिण एशिया के ऐतिहासिक मुद्दे भी रियल एस्टेट सौदा से कहीं अधिक जटिल हैं.’’
कल ट्रंप ने दावा किया कि मोदी और उन्होंने पिछले महीने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी, जहां मोदी ने उन्हें कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की पेशकश की थी. ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी और उन्होंने वास्तव में कहा, ‘क्या आप मध्यस्थता या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहाँ?’ (मोदी ने कहा) ‘‘कश्मीर.’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि यह कई वर्षों से चल रहा है. मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है.’’