सेना में अफसर बेटे की शादी को लेकर घर में तैयारियां चल रही थीं। रिश्ता तय हो चुका था, बस शादी की तारीख तय करनी बाकी थी। ….पापा जून के अंत में आ रहा हूं, आप शादी की तारीख तय कर लेना। यहां सब ठीक है, बस दूसरी तरफ से घुसपैठ चल रही है, उसे जल्द निपटा लेंगे।
कारगिल अमर शहीद कैप्टन अमोल कालिया के साथ पिता सतपाल कालिया की बातचीत में ये अंतिम शब्द थे। कारगिल से एक जून को अमोल कालिया का लिखा खत नौ जून को घर पहुंचा था। इसी दिन देश के इस जांबाज ने सिर पर कफन बांध कर दुश्मनों से लोहा लेते शहादत का जाम पी लिया। इस दौरान अमोल कालिया का रिश्ता तय हो गया था। कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे करते हुए चौकी नंबर 5203 पर तिरंगा लहराने के बाद शहीद हुए कैप्टन कालिया पर आज भी उनके परिजन और प्रदेशवासी नाज करते हैं।
कैप्टन अमोल कालिया का जन्म 26 फरवरी 1978 को नंगल में हुआ था और जमा दो तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद 1991 में उनका चयन एनडीए के लिए हुआ। कालिया मूल रूप से हिमाचल के चिंतपूर्णी के रहने वाले थे। 1995 में आईएमए कमीशन प्राप्त करने के बाद सेना की 12 जैकलाई में प्रभार संभाला और उनकी ज्यादातर ड्यूटी सियाचिन ग्लेश्यिर, कारगिल, द्रास व लेह आदि कठिन क्षेत्रों में रही।