मध्यप्रदेश के जबलपुर में डॉक्टरों की लापरवाही का एक मामला सामने आया है. डॉक्टर ने मारपीट में घायल एक 16 साल के नाबालिग को जिंदा होते हुए मृत घोषित कर दिया. मामले का खुलासा होने के बाद परिजनों ने आनन-फानन में नाबालिग को इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया है.
दरअसल मामला जबलपुर की गौर पुलिस चौकी का है. यहां दो दिन पहले तिलहरी में नगर निगम द्वारा बनाए गए आवास में रहने वाली सविता का अपने मकान मालिक के साथ पैसों को लेकर विवाद हो गया था, जिसके चलते सविता को मीना और वर्षा नाम की महिलाएं मार रही थी. मां को पिटता देख सविता का 16 साल का बेटा अनुराग आया और उसने दोनों महिलाओ को धक्का देकर गिरा दिया.
इसके थोड़ी देर बाद मकान मालिक महिलाओं ने अपने घरवालों के साथ मिलकर अनुराग चौधरी के साथ जमकर पिटाई की और उसे अधमरा कर दिया. सविता ने अपने घायल बेटे अनुराग को जिला अस्पताल विक्टोरिया में भर्ती कराया था, जहां डॉक्टरों ने गुरुवार को अनुराग के मृत होने की जानकारी दी. इसके बाद सविता कुछ लोगों के साथ गौर चौकी पहुंची और चौकी का घेराव करते हुए मारपीट करने वालों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की. इस पर पुलिस ने मारपीट करने वाली मीना और वर्षा को गिरफ्तार भी कर लिया.
अनुराग की मौत की खबर मिलते ही पुलिस ने बिना डॉक्टर से वेरीफिकेशन किए उसका पंचनामा कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी में जुट गई और थाना प्रभारी ने बकायदा जल्दबाजी में मीडिया को दिए बयान में भी नाबालिग को मृत बता दिया, लेकिन इसी बीच पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे अनुराग की धड़कन परिजनों को सुनाई दी.
इसके बाद परिजन उसे तत्काल एक निजी अस्पताल लेकर पहंचे, जहां अब उसका इलाज किया जा रहा है. नाबालिग के जीवित होने की खबर मिलते ही पुलिस कर्मियों में हड़कंप मच गया. दरअसल अनुराग की मौत हुई ही नहीं थी…बल्कि विक्टोरिया अस्पताल के चिकित्सकों ने उसकी पूरी जांच किए बगैर ही परिजनों को उसके मृत होने की खबर दे दी.
पुलिस ने भी बिना किसी जांच के नाबालिग को मृत मान लिया था. बहरहाल पुलिस अब इस मामले में नए सिरे से जांच कर रही है. इस घटना से पुलिस और डॉक्टर दोनों की लापरवाही भी उजागर हुई है. इस संबंध में विक्टोरिया अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर दोनों ही चुप्पी साधे हुए हैं और जिम्मेदार गायब हैं.