उत्तरी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नशों को राष्ट्रीय समस्या करार देते हुए साझा वर्किंग ग्रुप कायम करने का फैसला किया है। इसमें इन राज्यों के सेहत और सामाजिक न्याय विभागों के अधिकारी शामिल होंगे। यह ग्रुप सभी राज्यों द्वारा नशों के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम के तजुर्बे साझे करेगा। यह फैसला नशों को लेकर हुई दूसरी अंतरराज्यीय कॉन्फ्रेंस में लिया गया जिसमें हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के सीएम और दिल्ली, जेएंडके और चंडीगढ़ के उच्च अधिकारी शामिल हुए।
कॉन्फ्रेंस के समापन पर साझा बयान जारी कर सभी राज्यों ने पाक, अफगानिस्तान, नाइजीरिया और अन्य देशों से आ रहे नशों पर चिंता जताई। इसके खिलाफ जंग में एकजुट होने और क्षेत्र को नशा मुक्त बनाने का फैसला किया गया। कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्यों द्वारा आपस में सूचना साझी करने, अंतरराज्यीय सरहद पर साझी कार्रवाई करने, नशा तस्करों की जानकारी साझी करने की विधि को मजबूत करने पर सहमति बनी। व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाने और नशों के खिलाफ लोक लहर बनाने पर सबने सहमति जताई। सभी राज्य नेशनल ड्रग पॉलिसी को लेकर साझे तौर पर केंद्र सरकार पर दबाव डालेंगे। एनडीपीएस केसों के जांच अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग देने को चंडीगढ़ में रीजनल सेंटर फॉर ट्रेनिंग ऑफ इन्वेस्टिगेटर्स खोलने पर सभी राजी हुए।
इसी तरह एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की तर्ज पर ट्राइसिटी में सेंटर खोलने प्रस्ताव केंद्र सरकार को देने पर सहमति बनी। राज्यों ने कहा कि वे आपसी सलाह और सहयोग की प्रक्रिया को मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध हैं। कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नशों के खात्मे को सख्त कदम उठाने का सुझाव दिया। साथ ही मकोका जैसा कानून को लेकर सावधानी बरतने और नजदीक से जायजा लेने को कहा क्योंकि इसके दुरुपयोग की संभावनाएं काफी होती है। वहीं हरियाणा और हिमाचल सीएम ने ऐसे कानून की वकालत की।
पिछली मीटिंग में लिए फैसलों पर कार्रवाई रिपोर्ट हरियाणा ने पेश की। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने नशों को राजनीतिक के बजाय सामाजिक मुद्दा बताया। पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने कहा कि नशा तस्करी के लिए अटारी सीमा का सक्रियता से प्रयोग हो रहा है। ट्रक स्कैनर और कैनिक इकाई जैसे बुनियादी ढांचे की जरूरत है। एनआईए की तर्ज पर नशों को लेकर अलग केंद्रीय एजेंसी होनी चाहिए। कॉन्फ्रेंस में आईबी, एनसीबी के अधिकारी भी मौजूद थे। इस दौरान एलान किया गया कि अगली कॉन्फ्रेंस शिमला में अगले साल की शुरुआत में होगी।
नौजवानों को नशों से बचाने को इसकी सप्लाई लाइन काटी जानी चाहिए। डीलरों, उनके सहयोगियों और भगोड़ों पर निगरानी के लिए अंतरराज्यीय सेल फोन आधारित डाटा बनाया जाना चाहिए। जांच मजबूत होनी चाहिए ताकि अपराधी छूट न जाएं। जांच अधिकारियों की ट्रेनिंग के साथ सख्त कानून भी होना चाहिए। हरियाणा ने संगठित अपराधों को रोकने के लिए हरियाणा कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (हकोका) बनाने के लिए सभी रास्ते साफ कर लिए गए हैं।
पाकिस्तान से सीमा लगने के कारण राजस्थान को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मैं नेशनल ड्रग पॉलिसी बनाने को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह की मांग का समर्थन करता हूं। नशा तस्करों द्वारा समानांतर चलाई जा रही आर्थिक व्यवस्था को तबाह करने को भी सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
उत्तरी राज्यों की कोशिशों को और मजबूती प्रदान करने को योजना बनाई जानी चाहिए। पंजाब का बडी प्रोग्राम अच्छा है। इसे हिमाचल में भी इसे लागू किया जाएगा। नशों के खिलाफ लोगों में जागरूकता पैदा करना जरूरी है। हिमाचल प्रदेश नशों से निपटने को हकोका और मकोका की तरह कानून लाने पर विचार कर रहा है। पहली कॉन्फ्रेंस में लिए गए फैसले के अनुसार सभी राज्यों को पंचकूला में बनाए जा रहे साझे सचिवालय में 15 अगस्त तक अपने अधिकारी तैनात कर देने चाहिए। नशों संबंधी जागरूकता मुहिम स्कूली शिक्षा का हिस्सा बननी चाहिए क्योंकि महिलाओं और बच्चों द्वारा नशों को ले जाने का प्रयोग बढ़ रहा है। इसलिए जागरूकता पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए।