राजधानी शिमला में शुक्रवार दोपहर बाद हुई डेढ़ घंटे की मूसलाधार बारिश से शहर में भारी नुकसान हुआ है। हाईवे समेत कई सड़कों पर मलबा आने से यातायात थम गया। टूटीकंडी आईएसबीटी में भी पानी भर गया। कई जगह पेड़ गिर गए
पंथाघाटी में भी पत्थर गिरने से यातायात बाधित हुआ है। आईजीएमसी के पास ल्हासा गिरने से यातायात आधे घंटे तक बंद रहा। भराड़ी, चम्याणा और चुरट पूल के समीप भूस्खलन होने से यातायात बंद हो गया है। शुक्रवार शाम इन इलाकों में बसें भी रवाना नहीं हो पाई। मशोबरा के मुंगर नाले में भी मलबा आने से सड़क बंद रही। ओकओवर स्थित सीएम आवास के चंद मीटर दूर एक विशालकाय देवदार का पेड़ सड़क पर गिर गया। गनीमत रही कि इससे कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार राहत होटल के समीप पेड़ गिरने से पहले लोग सड़क पर पैदल चल रहे थे। दो लोग बाल-बाल बचे हैं। पेड़ गिरने से बिजली की तारें टूट गई जिससे इस क्षेत्र में देर शाम तक बिजली गुल रही।
पेड़ गिरने से छोटा शिमला-हाईकोर्ट रोड भी यातायात के लिए बंद रहा। डीएफओ पवन चौहान के अनुसार शाम साढ़े छह बजे तक सड़क बहाल कर दी गई है। विकासनगर में एनएच का पानी बाजार में घुसने से काफी नुकसान हुआ है। स्थानीय पार्षद रचना भारद्वाज ने बताया कि एनएच के पानी की निकासी के लिए कलवर्ट बना है, लेकिन साथ लगते स्कूल ने अपनी निर्माणाधीन सड़क के लिए लग रहे डंगे को बचाने के लिए नाले का पानी बाजार की ओर मोड़ दिया। बारिश के पानी से देवनगर से लेकर पट्टी गांव तक नुकसान हुआ है। पार्षद स्थानीय लोगों के साथ स्कूल पहुंची और इस लापरवाही का कारण पूछा। कहा कि स्कूल की लापरवाही से लोगों का भारी नुकसान हो गया है। भारी बारिश के बाद गुम्मा और गिरि पेयजल परियोजनाओं में गाद आने से पंपिंग ठप हो गई है। पेयजल सप्लाई घटने से शहर के कई इलाकों में शुक्रवार को पानी नहीं आया। शुक्रवार दोपहर बाद हुई भारी बारिश के बाद परियोजनाओं में फिर से गाद आने की सूचना है।
राजधानी में दोपहर बाद हुई तेज बारिश डीडीयू अस्पताल के लिए मुसीबत बनकर आई। आलम यह हो गया कि इस तेज बारिश के कारण अस्पताल के ओपीडी के साथ बने लेबर रूम में पानी भर गया। शुक्रवार को यहां पर ड्यूटी दे रहे कर्मी पानी के बीच आवाजाही करते नजर आए। दूसरी ओर ओपीडी गायनी, आर्थो ओपीडी के बाहर लाइनों में खड़े रहे मरीज परेशान होते नजर आए। लोगों ने कहा कि अस्पताल में पानी की निकासी न होने के कारण उन्हें बच्चों को ठंडे पानी में ठिठुरने को मजबूर होना पड़ रहा है।