मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से बगावत कर कांग्रेस सरकार का समर्थन करने वाले दो बागी विधायकों का अब कांग्रेस में भी विरोध होने लगा है. बुधवार को दंड विधि संशोधन विधेयक पर मत विभाजन के दौरान बीजेपी के मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्यौहारी से शरद कौल ने पार्टी लाइन से अलग जाकर कांग्रेस का समर्थन किया था. तब इस इस बात की चर्चा थी कि ये दोनों विधायक कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अब कांग्रेस के ही कई नेताओं और विधायकों ने इन दोनों नेताओं को पार्टी में लेने की कोशिशों का विरोध किया है. कांग्रेस नेताओं ने इन विधायकों को ‘आदतन दलबदलू’ करार दिया है. कांग्रेस नेता श्रीकांत चतुर्वेदी ने कहा, “ये आठवीं बार है कि नारायण त्रिपाठी पाला बदल चुके हैं, अब उनका पर्दाफाश हो चुका है, 2014 के लोकसभा चुनाव से मात्र 2 दिन पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी और बीजेपी ज्वाइन कर लिया था.”
बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में नारायण त्रिपाठी ने श्रीकांत चतुर्वेदी को मैहर विधानसभा क्षेत्र में शिकस्त दी थी. श्रीकांत चतुर्वेदी ने सतना के मैहर में अपने समर्थकों, स्थानीय कांग्रेस नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की. श्रीकांत चतुर्वेदी ने कहा कि आला नेतृत्व को इन नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने से पहले स्थानीय कांग्रेस नेताओं से बात करनी चाहिए और उन्हें विश्वास में लेना चाहिए. उन्होंने कहा, “हम अपने नेताओं पर भरोसा करते हैं, हमें आलाकमान पर यकीन है, लेकिन नारायण त्रिपाठी पर कोई भी फैसला लेने से उन्हें हमसे बात करनी चाहिए.”
कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने भी इस घटनाक्रम पर अपनी राय दी है. कांग्रेस नेता धर्मेश घई, और श्रीनिवास उर्मिला ने कहा है कि नारायण त्रिपाठी को पहले बीजेपी से इस्तीफा देने को कहा जाना चाहिए, इसके अलावा उन्हें विधायक पद से रिजाइन करने को कहा जाना चाहिए तब कांग्रेस में उनकी ज्वाइनिंग होनी चाहिए. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे स्थानीय नेताओं की इस भावना से मुख्यमंत्री कमलनाथ को अवगत कराएंगे. इस बीच स्थानीय कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा है कि विधायकों से समर्थन लेना का फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ का विशेषाधिकार है.